बचपन में लेखक मामा के गाँव चाव से इसलिए जाता है क्योकि लेखक ने मामा के गाँव में लाख की चूडियाँ बनाने वाला कारीगर बदलू रहता है लेखक को बदलू काका से अत्यधिक लगाव है वह लेखक को ढेर सारी लाख की रंग बिरंगी गोलियाँ देता है मामा न कहकर बदलू काका कहता है I
वस्तु विनियम में एक वस्तु को दूसरी वस्तु देकर लिया जाता है वस्तु के लिए पेसे नही लिए जाते है वस्तु बदले वस्तु ली – दी जाती है किन्तु अब मुद्रा के चलन के कारण वर्तमान परिवेश में वस्तू का लेन देन मुद्रा के द्वारा होता था विनियम की प्रचलित प्र्दती पैसा था I
इस पांति में लेखक ने कारीगरों की व्यथा की और संकेत किया था कि मशीनों के आगमन के साथ कारीगरों के हाथ से काम – धधा छिन गया था मानो उनके हाथ ही कट गए थे उन कारीगरों का रोजगार इन पेर्तर्क काम धन्धो से ही चलता है उसके अलावा उन्होंने कभी कुछ नही सिखा है वे पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी इस कला को बढ़ाते चले आ रहे थे और साथ में रोजी रोटी भी चला रहे थे I
बदलू लाख की चूडिया बेचा करता है परन्तु जेसे जेसे काँच की चूडियो का प्रचलन बढ़ता गया उसका व्यवसाय ठप पड़ने लगा है अपने व्यवसाय की यह दुर्द्र्शा बदलू को मन ही मन कचोटती है बदलू के मन में इस बात कि व्यथा है कि मशीनों युग के प्रभावस्वरूप उस जेसे अनेक कारीगरों बेरोजगारी और उपेक्षा का शिकार होना पडा था I
मशीनी युग से बदलू के जीवन में यह बदलाव आया की बदलू का व्यवसाय बंद हो गया था वह बेरोजगार हो गया था काम न करने से उसका शरीर भी ढल गया था उसके हाथो – माथे पर नसे उभरे आई थी अब वह बीमार रहने लगा था I
अपने अध्यापक से सलाह करके दे I
लाख की वस्तुओ का निर्माण सर्वाधिक उत्तरप्रदेश में होता था लाख में चूडियाँ , मुर्तियाँ , गोलियाँ तथा सजावट की वस्तुओ का निर्माण होता था I