akkahadeviWHERE cd.courseId=2 AND cd.subId=35 AND chapterSlug='akkahadevi' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='2' AND subId='35' AND chapterId='1170' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED) CBSE Class 11 Free NCERT Book Solution for Hindi - Aroh

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Chapter 18 : Akkahadevi


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Exercise 1 ( Page No. : 172 )
Q:
A:

इन्द्रियों का काम था अपने को तप्त करना इन्द्रियो की तृप्ति के फेर में मानव जीवन भर भटकता था इन्द्रियाँ मानव को विषय वासनाओ के जाल में उलझाकर लक्ष्य पथ से भटकाती रहती थी ईश्वर
प्राप्ति के मार्ग में टो इन्द्रियाँ सबसे बड़ी बाधक होती थी यह साधक को संसार की मोह माया में उलझाकर रखती थी I


Exercise 1 ( Page No. : 172 )
Q:
A:

इन पक्तियों को माध्यम से कवयित्री ने समस्त संसार को ईश्वर भक्ति से न चूकने की प्रेरणा दी थी भारतीय दर्शन के अनुसार मानव जन्म बड़ी कठिनाई से प्राप्त होता था भक्ति द्वारा जन्म मरण के चक्र से छुटकारा प्राप्त किया जाता था इसलिए कवयित्री इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कहते थे अत : समय रहते हमें इस दुलर्भ अवसर का लाभ उठाना चाहिए था I


Exercise 1 ( Page No. : 172 )
Q:
A:

ईश्वर के लिए जूही के फूल का दिया गया था ईश्वर और जूही के फूल का साम्य का आधार उसकी सुदरता एव महक थी है जूही केफूल बहुत छोटे सुकुमार और मधुर सुगध वाले होते थे उसी प्रकार ईश्वर में भी जूही के फूल की तरह सारे गुण विद्यमान होते थे ईश्वर भी अधिक कोमल गुण वाले होते थे I


Exercise 1 ( Page No. : 172 )
Q:
A:

अपना घर से यहाँ तात्पर्य व्यक्तिगत मोह माया में लिप्त जीवन से था व्यक्ति इस घर के आकर्षण जाल में उलझकर ईश्वर प्राप्ति के लक्ष्य में पीछे रह जाता था कवियत्री ऐसे मोह माया में लिपटे
जीवन को छोडने की बात करते थे क्योकि यदि ईश्वर को पाना था व्यक्ति को इस जीवन का त्याग करना होता था I


Exercise 1 ( Page No. : 172 )
Q:
A:

दूसरे वचन में ईश्वर के सम्मुख सपूर्ण समपर्ण का भाव था इस वचन में ईश्वर से सबकुछ छीन लेने की बात करता था उसे खाने तक भीख तक न मिल सके कि वह सासारिक वस्तुओ से पूरी तरह खाली हो जाते थे I