लेखक ने अपने पाँच मित्रो के जो शब्द – चित्र प्रस्तुत किये थे उसके अनुसार पांचो के स्वभाव अलग – अलग थे किंतु इससे उनकी मित्रता पर कभी कोई फर्क नही पडा था क्योकि उन सब कलाकार की सोच विधमान है I
लेखक को अपने दादा से विशेष लगाव है जिसका प्रमाण इस घटना से मिलता था जब लेखक के दादाजी की मृत्यु हुई थी तो वह अपने दादाजी के कमरे में ही बंद रहने लगा था वह अपने दादाजी के बिस्तर पर उनकी भूरी अचनक ओढ़कर इस प्रकार सोता है मनो वह अपने दादाजी के लिपटकर सोया हुआ था I
लेखक जन्मजात कलाकार था इस बात का पता इस पाठ में उस समय चलता था जब बडोदा के बोडिंग स्कूल में जथा उस समय ड्राइंग के शिक्षक मास्टर मोहमद अतहर ने ब्लैक बोर्ड पर सफेद चाक से एक बड़ी सी चिड़िया बनाई और लडको से कहा था अपनी अपनी स्लेट पर इस चिड़िया की नकल करके इसे बनाओ I
मकबूल फ़िदा हुसैन को पेंटिंग से बहुत लगाव है जब कभी वह दुकान पर बैठते थे तो वहां भी कुछ न कुछ ड्राइंग बनाते रहते है पेंटिंग से उसका प्यार इतना अधिक है कि हिसाब की किताब में दस रूपये लिखता है तो ड्राइंग की कॉपी में बीस चित्र बना लेता है I
प्रचार – प्रसार के पुराने तरीको और वर्तमान तरीको से बहुत अंतर आया था किसी वस्तु के प्रचार के ढोल-नगाड़े आदि बजकर उसके विषय में घोषणा की जाती है एक व्यक्ति रिक्शा तांगे आदि में बैठ जाता है उस वस्तु का पोस्टर लगाकर ढोल बजाते थे जोर – जोर से उसके विषय में बताता है I
पहले लोग कला को राजे महराजे और अमीरों को शोक मानते है गरीब व्यक्ति तो इस विषय में सोच भी नही सकता है उस समय कला आम आदमी का पेट नही भर सकती है यह केवल समय काटने का साधन है लेकिन समय बदला था आज कला तथा कलाकार का सम्मान किया जाता था अब तो शिक्षा में भी इसे अभिन्न बना दिया गया था I
इसका उत्तर आप आपके अध्यापक से सलाह करके दे