(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए-
1.सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया-प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
2. रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
3. चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़े उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
1. कवि ने एक दूसरे के प्रति सहानभूति की भावना को उभारा था इससे बढ़कर कोई पूँजी नही थी क्योकि यही गुण मनुष्य को महान उदार और सर्वप्रिय बनाता था महात्मा बुद्ध के विचारों का भी विरोध हुआ है जो दूसरो का उपकार करता था वही सच्चा उदार मनुष्य था I
2. इन पक्तियों का भाव था कि मनुष्य को कभी भी धन पर घमड नही करना था कुछ लोग धन प्राप्त होने पर इतराने लगते थे स्वय को सुरक्षित व सनाथ समझने लगते थे परन्तु उन्हें सदा सोचना चाहिए था कि इस दुनिया में कोई अनाथ नही था I
3. इन पक्तियों का अर्थ था कि मनुष्य को अपने निधारित लक्ष्य की और बढना रहना था लेकिन आपसी मेलजोल कम नही करना था किसी को अलग नही समझना चाहिए था विश्व एकता के विचार को बनाए रखना था I
NCERT questions are designed to test your understanding of the concepts and theories discussed in the chapter. Here are some tips to help you answer NCERT questions effectively:
Welcome to the NCERT Solutions for Class 10 Hindi - Sparsh - Chapter . This page offers a step-by-step solution to the specific question from Excercise 1 , Question 2: (kh) nimnalikhit panktiyon ka bhaav spasht keejie- 1.sahaanubhooti chaahie, mahaavibhooti hai yah - (ख) निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट....
Comments