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Welcome to the Chapter 4 - Manushyata, Class 10 Hindi - Sparsh NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 4 - Manushyata. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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1. प्रत्येक मनुष्य समयानुसार अवश्य मृत्यु को प्राप्त होता था क्योकि जीवन नश्वर थे इसलिए मृत्यु से डरना नही चाहिए बल्कि जीवन में ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे उसे बाद में भी याद रखा जाता था I
2. उदार व्यक्ति परोपकारी होता था अपना पूरा जीवन पुण्य व लोकहित कार्यो में बिता देता था किसी से भी भेदभाव नही रखता था आत्मीय भाव रखता था कवि और लेखक भी उसके गुणों की चर्चा अपने लेखो में करते थे I
3. कवि दधिर्ची कण आदि महान व्यक्तियों का उदहारण देकर त्याग और बलिदान का सदेश देता था कि किस प्रकार इन लोगो ने अपनी परवाह किए दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डिया दान दी थी कवि ने यह सदेश दिया था I
4. रहो न भूल के कभी मदाध तुच्छ वित्त्त में I सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त्त में I अनाथ कोन है यहाँ त्रिलोकनाथ साथ है I दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ है I
5. इस कथन का अर्थ थे क संसार के सभी मनुष्य आपस में भाई भाई था इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए सहायता करनी थी कोई पराया नही थे सभी एक दूसरे के काम आते I
6. कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए देते थे क्योकि एकता में बल होता था मैत्री भाव से आपस में मिलकर रहने से सभी कार्य सफल होते थे सभी एक पिता परमेश्वर की सतान थी I
7. कवि कहना चाहता था कि हमें ऐसा जीवन व्यतीत करना चाहिए था जो दूसरो के काम आता था मनुष्य को अपने स्वार्थ का त्याग करके परहित के लिए जीना चाहिए था जो मनुष्य सेवा त्याग और बलिदान का जीवन जीते थे I
8. संसार के अन्य प्राणियों की तुलना में मनुष्य में चेतना शक्ति की प्रबलता होती थी मनुष्यता कविता के माध्यम से कवि मानवता प्रेम , एकता , दया , करुणा सहानभूती और उदारता
से परिपूर्ण जीवन जीने का संदेश देना चाहती थी मनुष्य दूसरो के हित का ख्याल रख सकता था इस कविता का प्रतिपादय यह था कि हमे मृत्यु से नही डरना चाहिए था I
1. कवि ने एक दूसरे के प्रति सहानभूति की भावना को उभारा था इससे बढ़कर कोई पूँजी नही थी क्योकि यही गुण मनुष्य को महान उदार और सर्वप्रिय बनाता था महात्मा बुद्ध के विचारों का भी विरोध हुआ है जो दूसरो का उपकार करता था वही सच्चा उदार मनुष्य था I
2. इन पक्तियों का भाव था कि मनुष्य को कभी भी धन पर घमड नही करना था कुछ लोग धन प्राप्त होने पर इतराने लगते थे स्वय को सुरक्षित व सनाथ समझने लगते थे परन्तु उन्हें सदा सोचना चाहिए था कि इस दुनिया में कोई अनाथ नही था I
3. इन पक्तियों का अर्थ था कि मनुष्य को अपने निधारित लक्ष्य की और बढना रहना था लेकिन आपसी मेलजोल कम नही करना था किसी को अलग नही समझना चाहिए था विश्व एकता के विचार को बनाए रखना था I
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