व्याख्या करें
(क) मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता। जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहिं ओहू॥
(ख) जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना। अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही॥
(ग) माँग के खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु ने दैबको दोऊ॥
(घ) ऊँचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट को ही पचत, बेचत बेटा-बेटकी॥
1.लक्ष्मण के मुछिर्त होने पर राम विलाप करते हुए कहते है है भाई तुझे कभी दुखी नही देखा करते है तुम्हारा स्वभाव सादा से ही मेरे लिए कोमल रहेता है मेरे हित के लिए तुमने माता पिता को भी छोड़ दिया और वन में जाडा , गरमी और हवा सब कुछ सहन किया किन्तु वह प्रेम अब कहा है I
2.मूर्छित लक्ष्मण को गोद में लेकर विलाप करते है कि तुम्हारे बिना मेरी दशा ऐसी हो गई है जेसे पखो के बिना पक्षी मणि के बिना सर्प और सूड के बिना हाथी की स्थिति अत्यत दयनीय हो जाती है I
3.तुलसीदास को समाज के उलझनों तानो से कोई फर्क नही पड़ता है कि समाज में उनके बारे
में क्या सोचता है वे किसी पर आश्रित नहीं होते है वे श्री राम का नाम लेकर दिन बिताते है माग कर खाते है उन्हें किसी से कुव=च भी लेना देना नहीं होता है I
4.तुलसीदास ने समाज में आर्थिक विषमताओ का वर्णन करते हुए कहा है कि पेट भरने की समस्या से मजदूर , किसान , नोकर , भिखारी आदि सभी परेशान होते है अपनी भूख मिटाने के लिए सभी अनेतिक अधमिक कार्य करते है अपनी भूख मिटाने के लिए लोग अपनी सतान तक को बेच रहे है I
NCERT questions are designed to test your understanding of the concepts and theories discussed in the chapter. Here are some tips to help you answer NCERT questions effectively:
Welcome to the NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Aroh - Chapter . This page offers a step-by-step solution to the specific question from Excercise 1 , Question 5: व्याख्या करें (क) मम हित लागि तजेहु प....
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