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Welcome to the Chapter 8 - Kavitavali (uttarkand se), Class 12 Hindi - Aroh NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 8 - Kavitavali (uttarkand se). The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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कवितावली में वर्णित छदो से ये ज्ञात रहेता है कि तुलसीदास को अपने युग में व्यास आर्थिक विसमताओ का भली – भाती ज्ञान था उन्होंने समकालीन समाज का सजीव एव यथार्थपरक चित्रण होता है जो आज भी सत्य प्रतीत होता है उन्होंने लिखा है कि उनके समय में लोग बेरोजगारी एव भुखमरी की समस्या से परेशान होते है I
तुलसीदास के समय में बेरोजगारी के कारण अपनी भूख मिटाने के लिए सभी अनेतिक कार्य कर रहे थे I अपने पेट की भूख मिटाने के लिए लोग अपनी सतान तक को बेच रहे थे I वे कहते है कि पेट भरने के लिए मनुष्य कोई भी पाप कर सकता है I
तुलसी साहित्य में निम्नलिखित छदों व काव्य – रूपों का भी प्रयोग हुआ है I
छद बरवै , छप्पय , हरिगीतिका काव्य – रूप
प्रबध काव्य – रामचरितमानस महाकाव्य
मुक्त काव्य – विनयपत्रिका
गेय पद शेली – गीतावली , कृष्ण गीतावली
तुलसी ने कहा है की पेट की आग का शमन ईशवर भक्ति रूपी मेघ ही कर सकता है मनुष्य का जन्म , कर्म , कर्म – फल सब ईश्वर के अधीन है निष्ठा और पुरुषार्थ से मनुष्य के पेट की आग का शमन तभी होता है जब ईश्वर कृपा हो अर्थात फल प्राप्ति के लिए दोनों में सतुलन होना आवश्यक होता है I
तुलसी इस सवैये में यदि अपनी बेटी की शादी की बात होती है तो सामाजिक में अतर आता है क्योकि विवाह के बाद बेटी को अपनी जाति छोड़कर अपनी पति कि जाति अपनानी होती है
दूसरे यदि तुलसी अपनी बेटी की शादी न करने का निर्णय लेते तो इसे भी समाज में गलत समझा करते है I
हम इस बात से सहमत है कि तुलसी स्वभिमानी भक्त ह्रदय व्यक्ति है क्योकि धूत कहो... वाले छद में भक्ति की गहनता और सघनता में उपजे भक्त ह्रदय के आत्मविश्वास का सजीव चित्रण होता है जिससे समाज में प्याप्त जाति – पाति और दुरग्रहो के तिस्कार का साहस पैदा होता है वे कहते है कि उन्हें ससार के लोगो कि चिंता नहीं है कि वे उनके बारे में क्या सोचते है I
1.लक्ष्मण के मुछिर्त होने पर राम विलाप करते हुए कहते है है भाई तुझे कभी दुखी नही देखा करते है तुम्हारा स्वभाव सादा से ही मेरे लिए कोमल रहेता है मेरे हित के लिए तुमने माता पिता को भी छोड़ दिया और वन में जाडा , गरमी और हवा सब कुछ सहन किया किन्तु वह प्रेम अब कहा है I
2.मूर्छित लक्ष्मण को गोद में लेकर विलाप करते है कि तुम्हारे बिना मेरी दशा ऐसी हो गई है जेसे पखो के बिना पक्षी मणि के बिना सर्प और सूड के बिना हाथी की स्थिति अत्यत दयनीय हो जाती है I
3.तुलसीदास को समाज के उलझनों तानो से कोई फर्क नही पड़ता है कि समाज में उनके बारे
में क्या सोचता है वे किसी पर आश्रित नहीं होते है वे श्री राम का नाम लेकर दिन बिताते है माग कर खाते है उन्हें किसी से कुव=च भी लेना देना नहीं होता है I
4.तुलसीदास ने समाज में आर्थिक विषमताओ का वर्णन करते हुए कहा है कि पेट भरने की समस्या से मजदूर , किसान , नोकर , भिखारी आदि सभी परेशान होते है अपनी भूख मिटाने के लिए सभी अनेतिक अधमिक कार्य करते है अपनी भूख मिटाने के लिए लोग अपनी सतान तक को बेच रहे है I
हा हम इससे सहमत होते है क्योकि लक्ष्मण के वियोग में विलाप करते राम निसदेह मानवीय भावनाओं को दर्शा रहे है वे कहते है यदि मुझे ज्ञात रहेता है कि वन में आने भाई से बिछड जाउगा में पिता का वचन भी न मानता और न तुम्हे साथ लेकर रहता हु ये बाते सामन्य मानव के असहनीय दुःख व्यवहार और प्रलाप को दर्शाती रहेती है I
लक्ष्मण के मूर्छित होने पर हनुमान सजीवनी बूटी लेने हिमालय पर्वत जाते है उन्हें आने में विलब हो जाने पर सभी बहुत चितित व दुखी रहते है उसी समय हनुमान सजीवनी बूटी के साथ पर्वत लेकर आ जाते है तब मानो करूण रस के बीच वीर रस का सचार होता है I
भाई के शोक में डूबे राम ने कहा कि औरत के लिए प्यारे भाई को खोकर में कोंन सा मुह लेकर अवध वापस जाउगा में जगत में बदनामी भले ही सह सकता हु क्योकि औरत की हानि से कोई विशेष हानि नही होती I नारी को समाज में समानता का अधिकार नहीं होता है I
निराला की सरोज – में पुत्री के मर्त्य – शोक तथा शोक तथा शोक में डूबे राम के इस विलाप की तुलना करते है टो श्रीराम का शोक कम प्रतीत होता है क्योकि निराला की बेटी की म्रत्यु हो चुकी थी I
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