बच्चे को ह्र्द्यस्पर्शी स्नेह की पहचान होती थी बच्चे को विपदा के समय अत्याधिक ममता और स्नेह की आवश्यकता होती है भोलानाथ का अपने पिता से अपार स्नेह है पर जब उस पर विपदा आई थी उसे शाति व प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में जाकर मिलती थी I
भोलानाथ भी बच्चे की स्वाभाविक आदत के अनुसार अपनी उम्र के बच्चो के साथ खेलने में रूचि लेता था उसे अपनी मित्र मंडली के साथ तरह तरह की कीड़ा करना अच्छा लगता था वे उसके हर खेल व हुदगड के साथी थे अपने मित्रो को मजा करते देखते थे वह अपने आप को नही रोकते थे I
1. अटकन – बटकन दही चटाके I बनफूल बंगाले I
2. अक्कड – बक्कड बम्बे बो , अस्सी नब्बे पुए सो I
भोलानाथ व उसके साथी खेल ले लिए आँगन में खेतो प्र पड़ी चीजों को ही अपना खेल का आधार बना देते थे उनके लिए मिट्टी के बर्तन पत्थर पेंड़ो के पत्त्ते गीली मिट्ठी घर के समान आदि वस्तुए होती है जिनसे वह खेलते व खुश होते थे आज जमाना बदल चुका था आज माता पिता अपने
बच्चो को बहुत ध्यान रखते थे वे बच्चो को बेफिक्र खेलने और घूमने की अनुमति नही देते थे I
भोलानाथ व उसके साथी खेल ले लिए आँगन में खेतो प्र पड़ी चीजों को ही अपना खेल का आधार बना देते थे उनके लिए मिट्टी के बर्तन पत्थर पेंड़ो के पत्त्ते गीली मिट्ठी घर के समान आदि वस्तुए होती है जिनसे वह खेलते व खुश होते थे आज जमाना बदल चुका था आज माता पिता अपने
बच्चो को बहुत ध्यान रखते थे वे बच्चो को बेफिक्र खेलने और घूमने की अनुमति नही देते थे I
भोलानाथ व उसके साथी खेल ले लिए आँगन में खेतो प्र पड़ी चीजों को ही अपना खेल का आधार बना देते थे उनके लिए मिट्टी के बर्तन पत्थर पेंड़ो के पत्त्ते गीली मिट्ठी घर के समान आदि वस्तुए होती है जिनसे वह खेलते व खुश होते थे आज जमाना बदल चुका था आज माता पिता अपने बच्चो को बहुत ध्यान रखते थे वे बच्चो को बेफिक्र खेलने और घूमने की अनुमति नही देते थे I
भोलानाथ व उसके साथी खेल ले लिए आँगन में खेतो प्र पड़ी चीजों को ही अपना खेल का आधार बना देते थे उनके लिए मिट्टी के बर्तन पत्थर पेंड़ो के पत्त्ते गीली मिट्ठी घर के समान आदि वस्तुए होती है जिनसे वह खेलते व खुश होते थे आज जमाना बदल चुका था आज माता पिता अपने बच्चो को बहुत ध्यान रखते थे वे बच्चो को बेफिक्र खेलने और घूमने की अनुमति नही देते थे I
भोलानाथ व उसके साथी खेल ले लिए आँगन में खेतो प्र पड़ी चीजों को ही अपना खेल का आधार बना देते थे उनके लिए मिट्टी के बर्तन पत्थर पेंड़ो के पत्त्ते गीली मिट्ठी घर के समान आदि वस्तुए होती है जिनसे वह खेलते व खुश होते थे आज जमाना बदल चुका था आज माता पिता अपने
बच्चो को बहुत ध्यान रखते थे वे बच्चो को बेफिक्र खेलने और घूमने की अनुमति नही देते थे I
भोलानाथ व उसके साथी खेल ले लिए आँगन में खेतो प्र पड़ी चीजों को ही अपना खेल का आधार बना देते थे उनके लिए मिट्टी के बर्तन पत्थर पेंड़ो के पत्त्ते गीली मिट्ठी घर के समान आदि वस्तुए होती है जिनसे वह खेलते व खुश होते थे आज जमाना बदल चुका था आज माता पिता अपने बच्चो को बहुत ध्यान रखते थे वे बच्चो को बेफिक्र खेलने और घूमने की अनुमति नही देते थे I