बाढ़ की खबर से सारे शहर में आतंक मचा हुआ है लोग अपने सामान को निचली मंजिल से ऊपरी मंजिल में ले जा रहे है सारे दुकानदार अपना सामान रिक्शा , टमटम , ट्रक और टेम्पो पर लादकर उसे सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे है I
नोजवान और कुत्ता परस्पर गहरे आत्मीय है दोनों एक दूसरे के सच्चे साथी है उनमे मानव और पशु का भेदबाव भी नही है एक दूसरे के बिना नही रह सकते है I
यहा लेखक के बाढ़ से उत्पन्न दुःख को व्यक्त किया गया था वह इस घटना को पहले कैमरे में केद करना है परन्तु उसके पास कैमरा उपलब्ध नही है फिर उसके मन में विचार आया था कि वह कलम के द्वारा पत्रों में इस त्रासदी को लिखे जिसे उसने पहले स्वय भोगा है पर उसकी कलम भी उसके पास नही है I
लेखक ने पहले बाद के बारे में सुना जरुर है पर कभी देखा नही है उसने अपनी कई रचनाओ में बाढ़ की विनशीलता का उल्लेख किया है I
इस कथन जनसमूह में जिज्ञासा के भाव उठते हुए जान पड़ते थे लोग बाढ़ की स्थिती के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पैदल उस जगह जा रहे है सब के मन में व आँखों में एक ही प्रश्न जिज्ञासा का रूप ले चुका है पानी कहा तक पहुच गया था I
बाढ़ को लगातार बढ़ते जल को मृत्यु का तरल दूत कहा गया था बाढ़ के इस आगे बढ़ते हुए जल ने न जाने कितने प्राणियों को उजाड़ दिया है और बहा दिया है और बेघर करके मोंत की नींद सुला दिया है I
हमे मोसम की जानकारी रखनी थी एव अपने आपको सुरक्षा तत्र से जुडा रखना था आपदा से निपटने के लिए तात्कलिक व दीर्घकालिक उपाय करने थे I
लोग सकट की घड़ी में एक दूसरे की सहायता करने के बजाए अपनी निजी स्वार्थो की सिद्धी को
अदिक महत्त्व देते थे अपने सुख सुविधाओ को छोड़कर किसी संकटग्रस्त व्यक्ति या व्यक्तियों का हाल चाल जानने का भी कष्ट नही करते थे I
खरीद बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक बढ़ गई है क्योकि लोग बाढ़ को देखने के लिए बहुत बड़ी सख्या में इकठे हो गए है वे बाढ़ से भयभीत नही होते है I
जब लेखक को अहसास हुआ की उसके इलाके में भी पान घुसने की साभावना थी उन्होंने आवश्यक ईधन , आलू , मोमबती , दियासलाई , पीने का पानी ताकि बाढ़ से घिर जाने पर कुछ दिनों तक गुजारा चल सकता था I
बाढ़ के बाद हेजा , मलेरिया टाइफाइड आदि बीमारियों के फैलने की सभावना रहती थी क्योकि बाढ़ के उतरे पानी में मच्छर अत्यधिक मात्रा में पनपते थे जिसके कारण मलेरिया जेसी बिमारी होती है I