निम्नलिखित का | Class 12 Hindi - Antra Chapter Kavit aur Savaiya, Kavit aur Savaiya NCERT Solutions

Question:

निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) बहुत दिनान को अवधि आसपास परे/खरे अरबरनि भरे हैं उठि जान को
(ख) मौन हू सौं देखिहौं कितेक पन पालिहौ जू/कूकभरी मूकता बुलाय आप बोलिहै।
(ग) तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे।
(घ) सो घनआनंद जान अजान लौं टूक कियौ पर वाँचि न देख्यौ।
(ङ) तब हार पहार से लागत हे, अब बीच में आन पहार परे।

Answer:

(क) बहुत दिनान को अवधि आसपास परे खरे अरबरनि भरे है उठि जान को प्रस्तुत पक्ति का आशय था कि तुम्हारे इंतजार में बहुत दिन का समय इसी आस में व्यतीत हो गया था कि तुम आ सकती थी मेरे प्राण अब तो निकल जाने को व्यग्र था अर्थात निकलने वाले थे भाव यह था कि कवि इस आस में है उसकी प्रेमिका अवश्य आएगी परन्तु वह नही आती थी I

(ख) मोन हू सों देखिहो कितेक पन पालिहो जू कूकभरी मुकता बुलाय आप बोलिहे – कवि कहते थे कि वह चुप था और देखना चाहता था कि कब तक उसकी प्रेमिका अपने प्रण का पालन करती थी कवि कहते थे कि मेरी कूकभरी चुप्पी तुम्हे बोलने पर विवश कर देती थी I

(ग) तब तो छबि पीवत जीवत है अब सोचन लोचन जात जरे प्रस्तुत पक्ति का आशय था कि सयोगावस्था में होने के कारण प्रेयसी कवि के पास ही है अत उसे देखकर आनद से भर जाता है यह उसके जीने का कारण भी है परन्तु अब वियोग की अवस्था थी I

(घ) सो घनआनंद जान अजान लो टूक कियो पर वाचि न देख्यो – प्रस्तुत पक्ति का आशय था कि घनानंद ने अपने ह्रदय का दुःख एक पत्र में लिखा है और सुजान के पास भेजा है सुजान ने सब जानते हुए भी उस पत्र को बिना पढ़े ही टुकडो टुकडो में फाड़ दिया था उसके इस तरह के व्यवहार ने कवि के ह्रदय को आहत किया था I

(ड) तब हार पहार से लागत है अब बीच में आन पहार परे I – प्रस्तुत पक्ति का आशय था कि जब कवि प्रेयसी के साथ रहता है उसे प्रेमिका के बाहों का हार अपने शारीर पर पहाड़ के समान लगता है परन्तु वह कहता था हम दोनों अलग अलग थे तथा हम दोनों के मध्य में पहाड़ के रूप में वियोग विधमान थे I


Q:

निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
 

(क) 'कभी-कभी जो लोग ऊपर से बेहया दिखते हैं, उनकी जड़ें काफ़ी गहरी पैठी रहती हैं। ये भी पाषाण की छाती फाड़कर न जाने किस अतर गह्वर से अपना भोग्य खींच लाते हैं।'
 

(ख) 'रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज-सत्य। नाम उस पद को कहते हैं जिस पर समाज की मुहर लगी होती है। आधुनिक शिक्षित लोग जिसे 'सोशल सैक्शन' कहा करते हैं। मेरा मन नाम के लिए व्याकुल है, समाज द्वारा स्वीकृत, इतिहास द्वारा प्रमाणित, समष्टि-मानव की चित्त-गंगा में स्नात!'
 

(ग) 'रूप की तो बात ही क्या है! बलिहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कुपित यमराज के दारुण निःश्वास के समान धधकती लू में यह हरा भी है और भरा भी है, दुर्जन के चित्त से भी अधिक कठोर पाषाण की कारा में रुद्ध अज्ञात जलस्रोत से बरबस रस खींचकर सरस बना हुआ है।'
 

(घ) हृदयेनापराजितः! कितना विशाल वह हृदय होगा जो सुख से, दुख से, प्रिय से, अप्रिय से विचलति न होता होगा! कुटज को देखकर रोमांच हो आता है। कहाँ से मिलती है यह अकुतोभया वृत्ति, अपराजित स्वभाव, अविचल जीवन दृष्टि!'

Study Tips for Answering NCERT Questions:

NCERT questions are designed to test your understanding of the concepts and theories discussed in the chapter. Here are some tips to help you answer NCERT questions effectively:

  • Read the question carefully and focus on the core concept being asked.
  • Reference examples and data from the chapter when answering questions about Kavit aur Savaiya.
  • Review previous year question papers to get an idea of how such questions may be framed in exams.
  • Practice answering questions within the time limit to improve your speed and accuracy.
  • Discuss your answers with your teachers or peers to get feedback and improve your understanding.

Comments

Comment(s) on this Question

Welcome to the NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Antra - Chapter . This page offers a step-by-step solution to the specific question from Excercise 1 , Question 7: nimnalikhit ka aashay spasht keejie- (ka) bahut dinaan ko avadhi aasapaas pare/khare arabarani bhar - निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए- (क) बहु....