sapanon-ke-se-dinWHERE cd.courseId=9 AND cd.subId=44 AND chapterSlug='sapanon-ke-se-din' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='9' AND subId='44' AND chapterId='1179' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED)
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कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नही बनाते थे पाठ के इस अंश से यह सिद्ध होता था इस पाठ
में लेखक ने बचपन की घटना को बताया था कि उनके आधे से ज्यादा साथी कोई हरियाणा से कोई राजस्थान से था सब अलग अलग भाषा बोलते रहते थे I
पीटी साहब बहुत ही अनुशासन प्रिय व्यक्ति है छोटी सी भी गलती उनके लिए असहनीय है इसलिए जब कभी वे बच्चो को शाबाशी देते है बच्चो को यह किसी फोसी तमगो से कम नही लगते है I
नयी श्रेणी में जाने और नयी कापियों और पुरानी किताबो से आती थी विशेष गंध से लेखक का बालमन उदास हो उठता है क्योकि उनके परिवार की आर्थिक हालत अच्छी न होने के कारण उन्हें हेडमास्टर साहब द्वारा प्रबध की गयी पुराणी किताबे ही मिलती है I
स्काउट परेड में लेखक साफ़ सुथरे धोबी के घुले कपड़े पॉलिश किये हुए बूट जुराबो को पहन कर जब लेखक ठक ठक करके चलता है वह अपने आपको फोजी से कम नही समझता है I
एक दिन मास्टर प्रीतमचंद ने कक्षा में बच्चो से यह शब्द रूप याद नही हो सकती थी इस प्र मास्टर जी ने उन्हें मुर्गा बना दिया था बच्चे इसे सहन नही कर पाता था उसी समय नम्र ह्रदय हेडमास्टर जी वहा से निकल और बच्चो की हालत देखकर उत्त्तेजित हो जाता था I
लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल जाना बिलकुल अच्छा नही लगता है परन्तु जब स्कूल में रंग बिरगे झंडे लेकर गले में रुमाल बाँधकर मास्टर प्रीतमचंद पढाई के बजाए स्काउटिंग\ की परेड करवाते है लेखक को बहुत अच्छा लगता है I
लेखक के स्कूल की छुट्टिया होती थी और उसमे जो काम करने के लिए मिलता था उसे पूरा करने के लिए लेखक समय सारणी बनाता था कोन शा काम कितना काम एक दिन में पूरा करना था जेसे हिसाब के मास्टर द्वारा दिए जाते थे 200 सवालों को पूरा करने के लिए रोज दस सवाल निकले जान पर वह 20 दिन में पूरे हो जाते समय लेकिन खेल कूद में लेखक का समय बीत जाता था और कोई काम नही कर पाता था I
1. पीटी सर शरीर से दुबले पतले ठिगने कद के है उनकी आँखे भूरी और तेज़ है वे खाकी वर्दी और लम्बे जूते पहनते है I
2. वे बहुत अनुशासन प्रिय है बच्चे उनका कहना नही मानते है वे दंड देते है I
3. वे कठोर स्वभाव के है उनके मन में दया भाव न है बाल खीचना ठुडढे मारना खाल खीचना उनकी आदत है I
इस पाठ में अनुशासन बना रखने के लिए बच्चो को कठोर यातनाए दी जाती है साथ ही उनके उत्साह बढ़ाने के लिए शाबासिया भी जाती है परन्तु वर्तमान परिवेश में शिक्षको को बच्चो के साथ मारपीट का अधिकार नही दिया था I
हर एक बच्चे की स्कूली जीवन में जुडी कुछ ख़ास यादे थी जो उसके जीवन की अमूल्य निधिया होती थी मेरे बचपन से जुडी ऐसी अनेक यादे थी परन्तु उनमे से इस याद का अपना विशेष स्थान था सभी शिक्षक मुझसे परेशान रहा करते है हमारे स्कूल के अहाते में जामुन के पेंड रहते है I