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Welcome to the Chapter 3 - Aavaara Maseeha, Class 11 Hindi - Antral NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 3 - Aavaara Maseeha. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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उस समय वह सोच भी नही सकता है कि मनुष्य को दुःख पहुचाने के अलावा भी साहित्य का कोई उदेश्य सकता था लेखक ने ऐसा इसलिए कहा था क्योकि विद्यालय में शरतचंद को सीता – वनवास जेसी सहितिय्क रचनाए पढनी पड़ती है हमारे विचार से साहित्य के निम्नलिखित उधेश्य हो सकते थे –
- साहित्य मनुष्य के मनोरंजन का बहुतउतम साधन था इसको पढने से समय अच्छा व्यतीत होता था I
- साहित्य के माध्यम से मनुष्य अपने देष गाँव समाज इत्यादि के समीप आ जाता था उसमे विधमान सामाजिक मान्यताओ , विषमताओ , कमियों , इत्यादि को जाना जा सकता था I
उस समय और आज के समय में पढाई के तरीको में समानताये इस प्रकार थी –
1. उस समय विधालय में पढाई को महत्त्व दिया जाता था खेलकूद आदि महत्त्वपूर्ण नही है I
2. छात्रों को उन दिनों में एक ही है सभी को एक पाठ्यकम का अध्ययन करता था I
पहले के समय और आज के समय में पढाई के तरीको में अंतर इस प्रकार था – 1. पहले के समान आज शारीरिक दंड नही दिया जाता था अब बच्चो को प्रेम से समझा देते थे I
2. अब खेलकूद कला आदि को भी शिक्षा के समान प्राथमिकता दी जाती थी I
पाठ शरतचंद की बहुत सी बाल सुलभ चंचलताओ और शरारतो से भरा पडा था उनका तितली पकड़ना तालाब में नहाना उपवन लगाना , पशु पक्षी पालना पिता के पुस्तकालय से पुस्तके पढना था और पुस्तको में दी गई जानकारी का प्रयोग करना था एक बार तो उन्होंने पुस्तक में साँप के वश में करने का मत्र तक पढ़कर उसका प्रयोग कर डाला था शरतचंद द्वारा उपवन लगाना और पशु पक्षी पालने वाला अंश अच्छा लगा था I
शरद के नाना बहुत सख्त है उनका मानना है कि बच्चो कार्य बस पढना होना था उन्होंने बच्चो को बहुत सी बाते करने से साफ़ मना किया हुआ है उसमे तालाब में नहाना पशु पक्षियों का पालना बाहर जाकर खेलना उपवन लगाना घूमना पंतग गिल्ली डंडा इत्यादि खेल खेलना तक निषिद्ध है I
शरत तथा उसके पिता सभी लोगो को समान द्रष्टि से देखते है उनके लिए कोई बड़ा छोटा नही होता है I
- उसका सोदर्य बोध पिता के समान ही है जो उनके लेखन में स्पष्ट रूप से झलकता था I
- वह पिता के समान यायावार संसार के व्यक्ति है एक स्थान पर टिकना उसके लिए सभव नही है I
इसका उत्तर आप अपने अध्यापक से सलाह करके दे I
अघोर बाबू के मित्र ने जो टिप्पणी की वह बालक के भाव व्यापार को समझने की श्रमता के आधार पर की है अघोर बाबू के मित्र जानते है कि साहित्य सर्जन के लिए मनुष्य का अति सवेदशील होना आवश्यक थे शरत में यह गुण विधमान है छोटे से ही उनमे सवेदनशीलता का गुण आ गया है वह अपने आस पास के वातावरण तथा परिवेश का सूक्ष्म निरिक्षण करने में दक्ष है I
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