aavaara-maseehaWHERE cd.courseId=2 AND cd.subId=34 AND chapterSlug='aavaara-maseeha' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='2' AND subId='34' AND chapterId='1129' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED) CBSE Class 11 Free NCERT Book Solution for Hindi - Antral

Notice: Undefined variable: page_banner in /var/www/html/saralstudy/ss_new/web/chapter.php on line 120

Chapter 3 : Aavaara Maseeha


At Saralstudy, we are providing you with the solution of Class 11 Hindi - Antral Aavaara Maseeha according to the latest NCERT (CBSE) Book guidelines prepared by expert teachers. Here we are trying to give you a detailed answer to the questions of the entire topic of this chapter so that you can get more marks in your examinations by preparing the answers based on this lesson. We are trying our best to give you detailed answers to all the questions of all the topics of Class 11 Hindi - Antral Aavaara Maseeha so that you can prepare for the exam according to your own pace and your speed.

Exercise 1 ( Page No. : 76 )
Q:
A:

उस समय वह सोच भी नही सकता है कि मनुष्य को दुःख पहुचाने के अलावा भी साहित्य का कोई उदेश्य सकता था लेखक ने ऐसा इसलिए कहा था क्योकि विद्यालय में शरतचंद को सीता – वनवास जेसी सहितिय्क रचनाए पढनी पड़ती है हमारे विचार से साहित्य के निम्नलिखित उधेश्य हो सकते थे –
- साहित्य मनुष्य के मनोरंजन का बहुतउतम साधन था इसको पढने से समय अच्छा व्यतीत होता था I
- साहित्य के माध्यम से मनुष्य अपने देष गाँव समाज इत्यादि के समीप आ जाता था उसमे विधमान सामाजिक मान्यताओ , विषमताओ , कमियों , इत्यादि को जाना जा सकता था I


Exercise 1 ( Page No. : 76 )
Q:
A:

उस समय और आज के समय में पढाई के तरीको में समानताये इस प्रकार थी –
1. उस समय विधालय में पढाई को महत्त्व दिया जाता था खेलकूद आदि महत्त्वपूर्ण नही है I
2. छात्रों को उन दिनों में एक ही है सभी को एक पाठ्यकम का अध्ययन करता था I

पहले के समय और आज के समय में पढाई के तरीको में अंतर इस प्रकार था –                           1. पहले के समान आज शारीरिक दंड नही दिया जाता था अब बच्चो को प्रेम से समझा देते थे I
 2. अब खेलकूद कला आदि को भी शिक्षा के समान प्राथमिकता दी जाती थी I


Exercise 1 ( Page No. : 76 )
Q:
A:

पाठ शरतचंद की बहुत सी बाल सुलभ चंचलताओ और शरारतो से भरा पडा था उनका तितली पकड़ना तालाब में नहाना उपवन लगाना , पशु पक्षी पालना पिता के पुस्तकालय से पुस्तके पढना था और पुस्तको में दी गई जानकारी का प्रयोग करना था एक बार तो उन्होंने पुस्तक में साँप के वश में करने का मत्र तक पढ़कर उसका प्रयोग कर डाला था शरतचंद द्वारा उपवन लगाना और पशु पक्षी पालने वाला अंश अच्छा लगा था I


Exercise 1 ( Page No. : 76 )
Q:
A:

शरद के नाना बहुत सख्त है उनका मानना है कि बच्चो कार्य बस पढना होना था उन्होंने बच्चो को बहुत सी बाते करने से साफ़ मना किया हुआ है उसमे तालाब में नहाना पशु पक्षियों का पालना बाहर जाकर खेलना उपवन लगाना घूमना पंतग गिल्ली डंडा इत्यादि खेल खेलना तक निषिद्ध है I


Exercise 1 ( Page No. : 76 )
Q:
A:

शरत तथा उसके पिता सभी लोगो को समान द्रष्टि से देखते है उनके लिए कोई बड़ा छोटा नही होता है I
- उसका सोदर्य बोध पिता के समान ही है जो उनके लेखन में स्पष्ट रूप से झलकता था I
- वह पिता के समान यायावार संसार के व्यक्ति है एक स्थान पर टिकना उसके लिए सभव नही है I


Exercise 1 ( Page No. : 76 )
Q:
A:

इसका उत्तर आप अपने अध्यापक से सलाह करके दे I


Exercise 1 ( Page No. : 76 )
Q:
A:

अघोर बाबू के मित्र ने जो टिप्पणी की वह बालक के भाव व्यापार को समझने की श्रमता के आधार पर की है अघोर बाबू के मित्र जानते है कि साहित्य सर्जन के लिए मनुष्य का अति सवेदशील होना आवश्यक थे शरत में यह गुण विधमान है छोटे से ही उनमे सवेदनशीलता का गुण आ गया है वह अपने आस पास के वातावरण तथा परिवेश का सूक्ष्म निरिक्षण करने में दक्ष है I