‘किंतु यह भ्र | Class 12 Hindi - Antra Chapter Jahan Koi Wapsi Nahi, Jahan Koi Wapsi Nahi NCERT Solutions

Question:

‘किंतु यह भ्रम है …………….. डूब जाती हैं।’ इस गद्यांश को भूतकाल की क्रिया के साथ अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

कितु यह भ्रम है यह बाढ़ नही पाने में डूबे हुए धान के खेत है हम थोड़ी सी हिम्मत बटोकर गाँव के भीतर गए हैI वे औरते दिखाई दी थी जो एक पांत में झुकी हुई धान के पोधे छप छप पानी में रोप रही है सुंदर सुडोल धूप में चमचमाती काली टाँगे और सिरों पर चटाई के किश्तीनुमा हैट जो फोटो या फिल्मो में देखे हुए वियतनामी या चीनी औरतो की याद दिलाती है I


Q:

निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
 

(क) 'कभी-कभी जो लोग ऊपर से बेहया दिखते हैं, उनकी जड़ें काफ़ी गहरी पैठी रहती हैं। ये भी पाषाण की छाती फाड़कर न जाने किस अतर गह्वर से अपना भोग्य खींच लाते हैं।'
 

(ख) 'रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज-सत्य। नाम उस पद को कहते हैं जिस पर समाज की मुहर लगी होती है। आधुनिक शिक्षित लोग जिसे 'सोशल सैक्शन' कहा करते हैं। मेरा मन नाम के लिए व्याकुल है, समाज द्वारा स्वीकृत, इतिहास द्वारा प्रमाणित, समष्टि-मानव की चित्त-गंगा में स्नात!'
 

(ग) 'रूप की तो बात ही क्या है! बलिहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कुपित यमराज के दारुण निःश्वास के समान धधकती लू में यह हरा भी है और भरा भी है, दुर्जन के चित्त से भी अधिक कठोर पाषाण की कारा में रुद्ध अज्ञात जलस्रोत से बरबस रस खींचकर सरस बना हुआ है।'
 

(घ) हृदयेनापराजितः! कितना विशाल वह हृदय होगा जो सुख से, दुख से, प्रिय से, अप्रिय से विचलति न होता होगा! कुटज को देखकर रोमांच हो आता है। कहाँ से मिलती है यह अकुतोभया वृत्ति, अपराजित स्वभाव, अविचल जीवन दृष्टि!'

Q:

निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
 

(क) 'कभी-कभी जो लोग ऊपर से बेहया दिखते हैं, उनकी जड़ें काफ़ी गहरी पैठी रहती हैं। ये भी पाषाण की छाती फाड़कर न जाने किस अतर गह्वर से अपना भोग्य खींच लाते हैं।'
 

(ख) 'रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज-सत्य। नाम उस पद को कहते हैं जिस पर समाज की मुहर लगी होती है। आधुनिक शिक्षित लोग जिसे 'सोशल सैक्शन' कहा करते हैं। मेरा मन नाम के लिए व्याकुल है, समाज द्वारा स्वीकृत, इतिहास द्वारा प्रमाणित, समष्टि-मानव की चित्त-गंगा में स्नात!'
 

(ग) 'रूप की तो बात ही क्या है! बलिहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कुपित यमराज के दारुण निःश्वास के समान धधकती लू में यह हरा भी है और भरा भी है, दुर्जन के चित्त से भी अधिक कठोर पाषाण की कारा में रुद्ध अज्ञात जलस्रोत से बरबस रस खींचकर सरस बना हुआ है।'
 

(घ) हृदयेनापराजितः! कितना विशाल वह हृदय होगा जो सुख से, दुख से, प्रिय से, अप्रिय से विचलति न होता होगा! कुटज को देखकर रोमांच हो आता है। कहाँ से मिलती है यह अकुतोभया वृत्ति, अपराजित स्वभाव, अविचल जीवन दृष्टि!'

Study Tips for Answering NCERT Questions:

NCERT questions are designed to test your understanding of the concepts and theories discussed in the chapter. Here are some tips to help you answer NCERT questions effectively:

  • Read the question carefully and focus on the core concept being asked.
  • Reference examples and data from the chapter when answering questions about Jahan Koi Wapsi Nahi.
  • Review previous year question papers to get an idea of how such questions may be framed in exams.
  • Practice answering questions within the time limit to improve your speed and accuracy.
  • Discuss your answers with your teachers or peers to get feedback and improve your understanding.

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Welcome to the NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Antra - Chapter . This page offers a step-by-step solution to the specific question from भाषा शिल्प, Question 3: 'kintu yah bhram hai .....doob jati hai.' is gadyansh ko bhootkal ki kriya ke sath apne shab - ‘किंतु यह भ्रम है …………….. डू....