(क) 'कवि की यह सृष्टि निराधार नहीं होती। हम उसमें अपनी ज्यों-की-त्यों आकृति भले ही न देखें, पर ऐसी आकृति ज़रूर देखते हैं जैसी हमें प्रिय है, जैसी आकृति हम बनाना चाहते हैं।'
(ख) 'प्रजापति-कवि गंभीर यथार्थवादी होता है, ऐसा यथार्थवादी जिसके पाँव वर्तमान की धरती पर हैं और आँखें भविष्य के क्षितिज पर लगी हुई हैं।'
(ग) 'इसके सामने निरुद्देश्य कला, विकृति काम-वासनाएँ, अहंकार और व्यक्तिवाद, निराशा और पराजय के 'सिद्धांत' वैसे ही नहीं ठहरते जैसे सूर्य के सामने अंधकार।'
(क) प्रसग – प्रस्तुत पक्तिया रामविलास शर्मा द्वारा लिखित निबध यशासमे रोचते विश्रम से अवतरित था प्रस्तुत पक्ति में कवि द्वारा रचित स्रष्टि के विषय में लेखक अपने विचार व्यक्त करता था व्याख्या लेखक कहता था कि एक कवि द्वारा रचना के समय जो कल्पना की जाती थी वे बिना आधार के नही होती थी अथार्त वह जो देखता था समझता था सोचता था उसे आधार बनाकर एक नई स्रष्टि की रचना करता था अब प्रश्न उठता था कि उसे ऐसी स्रष्टि की रचना करने की आवश्यकता क्यों पड़ी थी तो इसका उत्तर था कवि जहां कल्पनालोक का वासी था वही हकीकत के धरातल में भी उसके पैर भली प्रकार से टिके होते थे I
(ख) प्रसग : प्रस्तुत पक्तियाँ रामविलास शर्मा द्वारा लिखित निबध यशासमे रोचते विश्रम से अवतरित था प्रस्तुत पक्ति में कवि के गुणों पर प्रकाश डाला गया था I व्याख्या : लेखक के अनुसार संसार की रचना करने वाला कवि गभीर यथार्थवादी होता था वह उसे गभीरता से लेता था और अपनी रचनाओं में पूरी गभीरता से निभाता था उसके पाँव यथार्थ पर पूर्णरूप से टिके होते थे वह सच्चाई से पूरी तरह से जुडा होता था वह जानता था कि वर्तमान का यह सत्य केसे भविष्य की श्रितिज पर दिखाई देता था अथार्त वह ऐसे साहित्य की रचना करता था जो वर्तमान की सत्य घटनाओं पर आधारित होता था I
(ग) प्रंसग : प्रस्तुत पक्तियाँ रामविलास शर्मा द्वारा लिखित निबध यशासमे रोकते विश्रम से अव्तरित था प्रस्तुत पक्ति में लेखक साहित्य के विषय में अपने विचार व्यक्त करता था I व्याख्या : लेखक साहित्य विशेषता बताते हुए स्पष्ट करता था कि हमारे साहित्य का उद्धेश्य मात्र मनोरंजन करना नही था वह मनुष्य को सदेव बढने की और चलते रहने की शिक्षा देता था हमारे साहित्य का गौरवशाली इतिहास इस बात का प्रमाण था हमारी इस परमपरा के समक्ष ऐसी कला
जिसमे कोई उद्धेश्य न था जो काम वासनाओं की पोषक था जिसमें अहंकार तथा व्यक्ति को अधिक महत्व दिया जाता था निराशा और पराजय के भावो को पोषण करता था I
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Welcome to the NCERT Solutions for Class 12 Hindi - Antra - Chapter . This page offers a step-by-step solution to the specific question from Excercise 1 , Question 10: saprasang sahit vyaakhya keejieh (ka) kavi kee yah srshti niraadhaar nahin hotee. ham usamen apanee - सप्रसंग सहित व्याख्या कीजिएः (क) 'कव....
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