(क) अपने पतझर के सपनों का मैं भी जग को गीत सुनाता
(ख) गाता शुक जब किरण वसंती छूती अंग पर्ण से छनकर
(ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की बिधना यों मन में गुनती है।
(क) प्रस्तुत पक्तियों में गुलाब भी सोचते हुए कहता था कि यदि मुझे भी स्वर मिल जाते थे में अपने सपनों तथा अपने सुख दुःख को इस दुनिया के सामने शब्द रूप में सबके सामने रखता था I
(ख) जब ऊँची दल पर बैठकर शुक अपने स्वर में गीत गाता था तब ठंडी बसती हवा मिठास के साथ शुकी के अतमन को आल्हादित करती थी I
(ग) प्रस्तुत पक्तियों में एक प्रेमिका अपने प्रिय को आल्हा गाते हुए देखकर अपने मन में यह सोचती थी कि यदि में भी इस गीत की कड़ी होती थी मेरा ह्रदय भी पूरे उत्साह से भर जाता है I
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Welcome to the NCERT Solutions for Class 9 Hindi - Sparsh - Chapter . This page offers a step-by-step solution to the specific question from Excercise 1 , Question 2: (ka) apane patajhar ke sapanon ka main bhee jag ko geet sunaata (kh) gaata shuk jab kiran vasante - (क) अपने पतझर के सपनों का मैं भी जग को ....
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