ehee-thaiyaan-jhulanee-heraanee-ho-ramWHERE cd.courseId=9 AND cd.subId=42 AND chapterSlug='ehee-thaiyaan-jhulanee-heraanee-ho-ram' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='9' AND subId='42' AND chapterId='1176' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED)
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भारत की आजादी की लड़ाई में हर धर्म और वर्ग के लोगो ने बढ़ चढकर भाग लिया है इस कहानी में लेखक ने टुन्नू व दुलारी जेसे पात्रो के माध्यम से उस वर्ग को उभरने की कोशिश करता था जो समाज में हीन या उपेश्रित वर्ग के रूप मव देखे जाते थे अपितु इनके मन में भी आजादी प्राप्त करने का जोश था I
दुलारी अपने कठोर स्वभाव के लिए प्रसिद्ध है परन्तु दुलारी का स्वभाव नारियल की तरह होता है वह एक अकेली स्त्री है इसलिए स्वय की रक्षा हेतु वह कठोर आचरण करते है परंन्तु अंदर से वह बहुत नर्म दिल की स्त्री है टुन्नू जो उसे प्रेम करता है उसके लिए उसके ह्र्दय में बहुत खास स्थान होता है परन्तु उसके मन में टुन्नू का एक अलग ही स्थान होता है I
कजली लोकगायन की एक शेली थी इसे भादो की तीज पर गया जाता था उस समय यह आयोजन मनोरंजन का साधन हुआ करता है इसके माध्यम से जन प्रचार भी किया जाता है इनमे लोगो की प्रतिष्ठा का प्रश्न रहा करता है इन कजली गायकों को बुलवाकर समारोह का आयोजन करवाया जाता है अपनी प्रतिष्ठा को उसके साथ जोड़ दिया जाता है और यही समाहरो की की जान हुआ करते है I
1. निडर स्त्री – दुलारी एक निडर स्त्री होती है वह किसी से नही डरा करती है अकेली स्त्री होने के कारण उसने स्वय की रक्षा हेतु अपने को निडर बनाया जाता है I
2. समर्पित प्रेमिका – दुलारी एक समर्पित प्रेमिका है वह टुन्नू से मन ही मन प्रेम करती है परन्तु उसके जीते जी उसने अपने प्रेम को कभी व्यक्त नही करता था उसकी मृत्यु ने उसके ह्रदय में दबे प्रेम को आँसूओ के रूप में प्रवाहित कर देता था I
3. स्वाभिमानी स्त्री – दुलारी एक स्वाभिमानी स्त्री है वह अपने सम्मान के लिए समझोता करने के लिए कतई तैयार नही होते है इसलिए उसे उसकी गायकी में कोई भी हरा नही हो सकता है I
4. दुलारी अबला नही – वह नारी होते हुए पुरुषो के पोरुष को ललकारने की श्रमता रखती थी वह पुरुषो की तरह ही दनादन दंड लगाती थी कसरत करते थे I
टुन्नू व दुलारी का परिचय भादो में तीज के अवसर पर खोजवा बाज़ार में हुआ है वह गाने के लिए
बुलवाई गई है दुक्कड पर गानेवालियो में दुलारी का खासा नाम है उससे पद्य में ही सवाल जवाब करने की महारत हासिल देते है बड़े बड़े गायक उसके आगे पानी भरते नजर आते है और यह कारण है कि कोई भी उसके सम्मुख नही आ सकता था I
दुलारी का टुन्नू को यह कहना उचित है ते सरबउला बोल जिन्दगीमें कब देखने लोट ?.....! क्योकि टुन्नू अभी सोलह सत्रह वर्ष का था उसके पिताजी गरीब पुरोहित है जो बड़ी मुश्किल से ग्रहस्थी चला रहते है टुन्नू ने अब तक लोट देखे नही थे उसे पता नही है कि केसे कोडी कोडी जोड़कर लोग ग्रहस्थी चलाते थे यहाँ दुलारी ने उन लोगो पर आश्रेप किया था I
दुलारी का योगदान – दुलारी प्रत्यक्ष रूप में आन्दोलन में भाग नही ले रही है फिर भिओ अप्रत्क्ष रूप से उसने अपना योगदान दिया है विदेशी वस्त्रो के बहिष्कार हेतू चलाए जाता था आन्दोलन में दुलारी ने अपना योगदान रेशमी साडी व फेकू द्वारा दिया जाता था I टुन्नू का योगदान : टुन्नू ने स्वतन्त्रता सग्राम में एक सिपाही की तरह अपना योगदान देता है उसने रेशमी कुता व टोपी स्थान पर खादी के वस्त्र पहनना आरम्भ कर देता था आग्रेज विरोधी आन्दोलन में वह सक्रिय रूप से भाग लेने लग गया है I
टुन्नू सोलह वर्ष का युवक है और दुलारी ढलते योवन की प्रोढ़ा है दुलारी टुन्नू की काव्य प्रतिभा\ पर मत्र मुग्ध है दुलारी और टुन्नू के ह्रदय में एक दुसरे के प्रति अगाध प्रेम है और ये प्रेम उनकी कला के माध्यम से ही उनके जीवन में आता है दुलारी ने टुन्नू के प्रेकिसी के लिए नम निवेदन को कभी स्वीकार नही था परन्तु वह मन ही मन उससे बहुत प्रेम करते है\ किसी के लिए ना पसीजने वाला ह्रदय आज चीत्कार करता है I
आजादी के दीवानों की एक टोली जलाने के लिए विदेशी वस्त्रो काv सग्रह करता है अधिकतर लोग फटे पुराने वस्त्र देते है दुलारी के वस्त्र बिलकुल नए है दुकारी द्वारा विदेशी वस्त्रो के ढेर में कोरी रौशनी साडीयो का फेका जाना यह दर्शाता था कि वह एक सच्चा हिन्दुस्तानी था जिसके ह्रदय में देश के प्रति प्रेम व आदरभाव होता था I
टुन्नू दुलारी से प्रेम करता है वह दुलारी से उम्र में बहुत ही छोटा है वह मात्र सत्रह सोलह साल का लड़का है दुलारी को उसकी उम्र की नादानी के अलावा कुछ नही लगता है इसलिए वह उसका तिरस्स्कार करते है टुन्नू का यह कथन सत्य था उसका प्यार आत्मिक है इसलिए उसे दुलारी की आयु या उसके रूप से कुछ लेना देना नही ह्जोता है I टुन्नू के प्रति उसके विवेक ने उसके प्रेम को श्रदा का स्थान दिया था I
इस कथन का शब्दिक अर्थ होता था इसी स्थान पर मेरी नाक की लोंग खो दी थी में किससे पूछता नाक में फना जानेवाला लोंग सुहाग का प्रतीक होता था दुलारी एक गोंनहारिन था दुलारी की मनोस्थति देखता था जिस स्थान पर उस गाने के लिए आमत्रित किया जाता है उसी स्थान पर टुन्नू की मृत्यु हुई है I