daayaree-ke-panneWHERE cd.courseId=3 AND cd.subId=58 AND chapterSlug='daayaree-ke-panne' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='3' AND subId='58' AND chapterId='1083' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED)
At Saralstudy, we are providing you with the solution of Class 12 Hindi - Vitan Daayaree Ke Panne according to the latest NCERT (CBSE) Book guidelines prepared by expert teachers. Here we are trying to give you a detailed answer to the questions of the entire topic of this chapter so that you can get more marks in your examinations by preparing the answers based on this lesson. We are trying our best to give you detailed answers to all the questions of all the topics of Class 12 Hindi - Vitan Daayaree Ke Panne so that you can prepare for the exam according to your own pace and your speed.
ऐन की डायरी एक ऐतिहासिक दोर का जीवत दस्तावेज है जिसने भूमिगत रहते थे उस यातना अत्यचार को भोगा था जो उस समय दितीय विश्वयुद के दोरान यहूदियों को दी जा रही है उसके निजी सुख दुःख और भावनात्मक उथल पुथल का प्रमाण था क्योकि इसमें ऐन ने दितीय विश्वयुद के समय हालेड के यहूदी परिवारों की अकलपनीय यत्रंणाओ का वर्णन करने के साथ साथ वहा की राजनेतिक एव युद्ध की विभीषिका का भी जीवत वर्णन करता है I
यह सत्य है कि लेखक आत्माभिव्यक्ति के लिए लिखता था यदि उसे कोई साधन अभिव्यक्ति का नहीं मिलता था तो स्वय ही अपना साधन खोज लेता था ऐसा ही ऐन ने किया था ऐन भी अपने अनुभवो को डायरी के माध्यम से व्यक्त करते थे पढाई के लिए उसे कई बार डाट फटाकर मिलते थे वह एक जगह लिखते थे I मेरे दिमाग में हर समय इच्हाए विचार आरोप तथा डाट फटकार ही चक्कर खाते थे में सचमुच उतनी घमडी नहीं थे जितना लोग मुझे समझते थे I
ऐन के अनुसार ओरतो को उनके हिस्से का सम्मान मिलना था पुरषों ने ओरतो पुरुष ही कमाकर लता था बच्चे पालता पोसता था और करना शुरु किया कि वे उनकी तुलना में वे शारीरिक रूप से ज्यादा सक्षम थे पुरुष ही कमाकर लाता था बच्चे पालता पोसता था और जो मन में आए करता था लेकिन हाल ही में बदली थी सोभाग्य से शिक्षा काम तथा प्रगति ने ओरतो की आँखे खोली थी ओरत ही तो है जो मानव जाति की निरतरता को बनाए रखने के लिए न जाने इतनी तकलीफों से गुजरती थी I
ऐन की डायरी से हमें उसके जीवन व तत्कालीन परिवेश का परिचय मिलता था इसमें दितीय विश्वयुद के समय हालेड के यहूदी परिवारों की अकल्पनीय का वर्णन करने के साथ साथ वहा की राजनैतिक युद्ध की विभीषिका का जीवत वर्णन करते है यहूदियों को तरह तरह के भेदबाव पूर्ण और अपमानजनक नियम कायदों को मानने के लिए बाध्य किया जाने लगा था इस तरह यह डायरी ऐताहासिक दस्तावेज होने के साथ साथ ऐन के जीवन के सुख दुःख का चित्रण भी था I
ऐन जब अज्ञातवास में थी तब उसकी आयु मात्र आठ वर्ष की थी यह ऐसी अवस्था थी जब मन में उत्सुकता जिज्ञासा थी मन समाधान था अज्ञातवास में ऐन से बाते करने वाले और उसके भावो को समझने वाला कोई न है एव बड़ो की बाते सुन सुनकर वह उब गये थे I