सिद्धार्थ के बारे में महर्षि असित ने यह भविष्यवाणी की है यह बालक अत्यंत बुद्धिमान होगा जो शाक्य कुलभूषण बना था इस संसार की दुःख भरी अंधकार को यह बालक अपनी ज्ञान की रौशनी से राह दिखा था है I
जो विधाये सामान्य बालक वर्षो में सीखते है उन सिद्धार्थ कुछ ही समय में सीख लेते है इससे यह प्रतीत होता था कि बालक सिद्धार्थ बहुत ही मेधावी छात्र है उनके जन्म लेते ही ऐसा लगा है जेसे चारो दिशाए प्रकाशित हो उठी थी I
महाराज शुद्दोधन सिद्धार्थ की सुख सुविधाओ की व्यवस्था के लिए इसने विशेष प्रत्यनशील इसलिए रहते है क्योकि महर्षि असित ने सिद्धार्थ के जन्म के समय यह भविष्यवाणी की है कि यह बालक संसार के दुःख से विचलित हो मोक्ष प्राप्ति के लिए सासारिक मोह माया को त्याग कर वन के लिए प्रस्थान कर सकता था I
राजकुमार सिद्धार्थ के मन में सवेग की उत्पति के कोई कारण है जब वह पहली बार नगर भ्रमण पर निकले तब उन्हें अचानक ही एक वर्द्ध इंसान दिख गया था उन्होंने आज तक किसी सफेद बाल के इंसान जो लाठी लेकर चल रहा है अथवा वर्द्ध इंसान को नही देखा है सारथी ने बताया की कोई भी इंसान इस व्रधावस्था से नही बच सकता यह सुन कर सिद्धार्थ का मन बड़ा दुखी हुआ था I