अराड मुनि ने अविद्या निम्नलिखित अवस्थाओं को कहा है –
1. आलस्य
2. जन्म – मृत्यु मोह
3. काम
4. क्रोध
5. विषाद
अराड मुनि के अनुसार आलस्य , क्रोध , विषाद अंधकार है और जन्म मृत्यु मोह एव कम महामोह है इन पाँचो अविधाओ से अगर इंसान मुक्त हो गया तो उसका जीवन सार्थककहलायेगा I
काफी दिनों से अग्न न ग्रहण करने की वजह से सिद्धार्थ काफी दुर्बल हो चुके थे कुछ समय बाद उन्हें खुद ही ऐसा लगा कियह दुर्बलता उनको मोक्ष नही दिलवा सकती अस्वस्थ मन से कभी कोई समाधि नही पा सकता समाधि पाने के लिए मानसिक शक्ति प्रबल होनी चाहिए और मानसिक शक्ति के लिए आहार ग्रहण करना बहुत जरुरी था I
मार सर्ध्म का शत्रु था जिसे कामदेव के नाम से भी जाना जाता है मार को लगता था कि बुद्ध उसका राज्य जीतना चाहते है वह बार – बार बुद्ध को डराने लगा ताकि उनका ध्यान भंग हो जाए और वो मोक्ष को प्राप्त करने की विद्या ना हासिल कर पाए I
सिद्धार्थ के बुद्धत्व प्राप्त करने पर पूरी प्रकति में हर्षोल्लास का माहोल छा गयाबिन मोसम बरसात होने लग गई आसमान से फूलो की वर्षा होने लगी मानो पूरी प्रकति बुद्ध का स्वागत कर रही हो चारो दिशाओ में ज्ञान प्रवाहित होने लग गए I