मार ने बुद्ध को याद दिलाया की नेरंजना नदी के तट पर जब बुद्ध ने बुद्धत्व प्राप्त किया था तब मार ने उनसे निर्वाण प्राप्त करने को कहा था परंतु बुद्ध ने तब मना कर दिया था क्योकि वह पपियो और पीडितो का उद्धार करने से पहले निर्वाण प्राप्त करना नही चाहते थे I
आनद भगवान बुद्ध का शिष्य था भगवान बुद्ध आनद के सब कुछ थे भगवन बुद्ध ने जब यह बताया कि अब उनका धरती पर समय काल खत्म हो चुका है और अब केवल तीन माह के लिए इस धरती पर रहेगे I
तथागत ने परिनिर्वाण से पूर्व मल्लो को यह समझाया कि यह समय दुःख का नही बल्कि आनद का है वह सभी दुखों का जड़ अपने शरीर का आज त्याग करने वाले है उन्हें आज दुलभ लक्ष्य प्राप्त होने वाला है I
अपने अंतिम उपदेश में बुद्ध ने अपने शिष्यों से यह कहा कि उनके निर्वाण के बाद सभी शिष्य प्रातिमोक्ष को ही अपना गुरु मानेगे इसी का खुद से अध्ययन करेगे और इसी के अनुसार आचरण करेगे I
भगवान बुद्ध के मरोंणपरांत उनकी अस्थियो को लेकर मल्लो और पड़ोसी राजाओ के बीच युद्ध की सभावना उत्पन्न हो गई दोनों ही भगवान बुद्ध के उपदेशो को मानते थे और उनकी अस्थियो का अपना अधिकार चाहते थे द्रोंण नाम के ब्राह्मण ने राजाओ और मल्लो दोनों पक्ष से बात की उन्होंने दोनों पक्ष को समझाया की भगवान बुद्ध का परम ज्ञान था
भगवान बुद्ध के उपदेशो का सग्रह करने का भार आनद को दिया गया क्योकि आनद हमेशा बुद्ध के साथ रहे थे सर्वाधिक समय बुद्ध के साथ बिताया था और बुद्ध के मुख से सारे धर्मोपदेश बड़े ध्यान से सुने थे I