meeraWHERE cd.courseId=2 AND cd.subId=35 AND chapterSlug='meera' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='2' AND subId='35' AND chapterId='1164' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED) CBSE Class 11 Free NCERT Book Solution for Hindi - Aroh

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Chapter 12 : Meera


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Exercise 1 ( Page No. : 138 )
Q:
A:

मीरा श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मानती थी वे स्वय को उनकी दासी भी मानते थे और श्रीकृष्ण की उपासना एक समपिरता पत्नी के रूप में होती है मीरा के प्रभु सिर पर मोक मुकुट धारण करने वाले मन को मोह्नेवाले रूप के होते है I


Exercise 1 ( Page No. : 138 )
Q:
A:

(क) भाव सोंदर्य – इस पद में मीरा की भक्ति अपनी चरम सीमा पर था मीरा ने अपने आसुओ के जल से सीचकर कृष्ण रुपी प्रेम की बेल बोई थे और अब उस प्रेमरूपी बेल में फल आने शुरू होते थे I शिल्प सोंदर्य – भाषा मधुर संगीतमय और राजस्थान मिश्रीत भाषा थी सीची सीची में पुनरुक्ति प्रकाश अलकार थे I अलकार का बड़ी ही कुशलता से प्रयोग किया था I                       
(ख) भाव सोंदर्य – इस पद में मीरा ने भक्ति की महिमा को बड़े ही सुन्दर ढग से प्रस्तुत किया था इस पद में भक्ति को महत्वपूर्ण तथा सासारिक सुख को छाछ के समान असार माना जाता था इन काव्य पक्तियों में मीरा संसार के सार तत्व को ग्रहण करते थे और व्यर्थ की बातो को छोड़ देने के लिए कहा था I


Exercise 1 ( Page No. : 138 )
Q:
A:

मीरा कृष्ण भक्ति में अपनी सुध बुध खो चुका था कृष्ण की भक्ति के लिए उसने राज परिवार कू भी त्याग दिया है उसके इस कृत्य पर लोगो ने उसकी भरपूर निंदा की परंतु मीरा सब सासारिकता को त्याग कर कृष्ण की अनन्य भक्ति में रम चुकी होती है इसी कारण लोग उन्हें बावरी कहते है I


Exercise 1 ( Page No. : 138 )
Q:
A:

मीरा की कृष्ण भक्ति के कारण उसके पति परेशान है उन्हें अपनी कुल की मर्यादा खतरे में मालूम होती है अत : उन्होंने मीरा को मारने के लिए जहर का प्याला भेजा और मीरा ने भी उसे हँसते हँसते पी लिया था परंतु कृष्ण भक्ति के कारण जहर भी मीरा का कुछ न बिगाड़ पाया था I


Exercise 1 ( Page No. : 138 )
Q:
A:

मीरा संसार में लोगो को मोह माया में जकड़े हुए देखकर रोती रहती थी मीरा के अनुसार संसार के सुख दुःख ये सब मिथ्या थी मीरा सासारिक सुख दुःख को असार मानती थी उसे लगता था कि किस प्रकार लोग सांसारिक मोह माया को सच मान बैठे थे और अपने जीवन को व्यर्थ की गवा मान रहे थे और इसी कारण वे जगत को देखकर रोती थी I