1. 26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए कलकतावासियो ने अनेक तैयारियाँ की है जेसे लोगो ने अपने मकानों को खूब सजाया है शहर के प्रत्येक भाग में राष्टीय झड़े लगाए है कुछ लोगो ने तो अपने घर और मकानों को ऐसे सजाया है I
2. 26 जनवरी का दिन अपने आप में ही निराला है क्योकि इस दिन को निराला बनाने के लिए कलकतावासी हर सभव प्रयास करते है स्त्रिया भी जुलुस में बढ़चढकर भाग में लिया है I
3. पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कोसिल की नोटिस में यह अतर है कि जहां सरकार अपना भय दिखाकर जनता के उपर अपने मनमाने कानूनों को थोप रहते है वही पर आम जनता ऐसे कानूनों का उल्लघन करता और अपनी देशभक्ति का परिचय देता है I
4. धर्मतल्ले के मोड़ प्र आकर जुलूस पुलिस की जनता पर लाठिया बरसाने लगते थे लोगो के घायल होने से और सुभाष बाबू की गिरप्तारी के कारण टूट जाता है I
5. उन लोगो का फोटो खीचने की वजह यह है कि पूरा देश अग्रेजी सरकार का इस आमवनीय कृत्य करने को देखता था और प्रेरित होकर अग्रेजो का विरोध करते है और देश से अग्रेजो को बाहर करने से अपना सहयोग देते थे I
1. सुभाष बाबू के जूलूस में स्त्री सम्माज की विशेष और बढ़ा और अहम भूमिका रहती थी स्त्रियों ने अपने अपने तरीको से जुलूस निकला था जानकी देवी ने मदालसा बजाज जेसी स्त्रियो ने जुलूसका सफल नेतत्व किया था I
2. जुलूस से लाल बाज़ार पहुचते ही पुलिस ने जुलूस में लाठिया बरसाने शुरू कर दिया था सुभाष बाबू को पकड़कर जेल भेज दिया जाता था मदालसा बजाज भी पुलिस द्वारा पकड़ लिया था I
3. यहाँ पर पुलिस कमिश्नर के द्वारा कानून को भंग करने की बात करते थे इस कानून के अनुसार किसी भी प्रकार की सभा का आयोजित करता या उसमे भाग लेने की मनाही करता है\ मेरे विचार से यह सब कानून भंग करना अति आवश्यक होता है I
4.मेरे अनुसार यह दिन अपूर्व इसलिए है क्योकि इससे पहले कलकता में इतने बड़े स्तर पर जुलूस नही निकाला होता है और न ही इस प्रकार से सरकार को खुली चुनोती देता है स्त्रियों के इतनी बड़ी सख्या में भाग लेना था और अपनी गिरपतारी देना भी इस दिन का अपूर्व बनाता था I