Complete NCERT Solutions Guide
Access step-by-step solutions for all NCERT textbook questions
==================>>>1==================>>>2==================>>>3==================>>>4
Welcome to the Chapter 2 - Ram-Lakshman-Parshuram Samvad, Class 10 Hindi - Kshitij NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 2 - Ram-Lakshman-Parshuram Samvad. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
Our solutions explain each answer in a simple and comprehensive way, making it easier for students to grasp key topics Ram-Lakshman-Parshuram Samvad and excel in their exams. By going through these Ram-Lakshman-Parshuram Samvad question answers, you can strengthen your foundation and improve your performance in Class 10 Hindi - Kshitij. Whether you’re revising or preparing for tests, this chapter-wise guide will serve as an invaluable resource.
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने पर निम्नलिखित तर्क दिए थे –
1. बचपन में तो हमने कितने ही धनुष तोड़ दिए परन्तु आपने कभी क्रोध नहीं था इस धनुष से आपको विशेष लगाव क्यों था I
2. हमें तो यह असाधारण शिव धुनष साधारण धनुष की भाति लगा था I
3. श्री राम ने इसे तोडा नहीं बस उनके छूते ही धनुष स्वत टूट गया था I
(क) अनुप्रास अलकार-उक्त पक्ति में ब वर्ण की एक से अधिक बार आवर्ती हुई थी इसलिए यहाँ अनुप्रास अलकार था I
(ख) (1) अनुप्रास अलकार – उक्त पक्ति में क वर्ण की एक से अधिक बार आवृति हुई है इसलिए यहाँ अनुप्रास अलकार था I
(2) उपमा अलकार – कोटि कुलिस सैम बचनु में उपमा अलकार था क्योकि परशुराम जी के एक एक वचनों को व्रज के समान बताया जाता था I
(ग) (1) उत्प्रेक्षा अलकार – काल हांक जनु लावा में उत्प्रेक्षा का वाचक शब्द था I
(2) पुनरुक्ति प्रकाश अलकर – बार बार में पुनरुक्ति प्रकाश अलकार है क्योकि बार शब्द की दो बार आवर्ती हुई पर अर्थ भिन्नता नहीं थी I
(घ) (1) उपमा अलकार (i) उतर आहुति सरिस भ्रगुबरकोपु कृसानु में उपमा अलकार था I
(2) जल सैम बचन में भी उपमा अलकार था क्योकि भगवान राम के मधुर वचन जल के समान कार्य थे I
2. रूपक अलकार – रघुकुलभानु में रूपक अलकार है यहाँ श्री राम को रघुकुल का सूर्य कहा गया था श्री राम के गुणों की समानता सूर्य से की गई थी I
राम स्वभाव से कोमल और विनयी था परशुराम जी क्रोधी स्वभाव के है परशुराम के क्रोध करने पर श्री राम ने धीरज से काम किया था उन्होंने स्वय को उनका दास कहकर परशुराम के क्रोध को शांत करने का प्रयास किया था एव उनसे अपने लिए आज्ञा करने का निवेदन किया था I
लक्ष्मण हे मुनि ! बचपन में तो हमने कितने ही धनुष तोड़ दिए परन्तु आपने कभी क्रोध नहीं किया था इस धनुष से आपको विशेष लगाव क्यों था परशुराम – अरे राजपुत्र ! तू काल के वंश में आकर ऐसा बोल रहा था I तू क्यों अपने माता पिता को सोचने पर विवश कर रहा था I
परशुराम ने अपने विषय में ये कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी था और क्रोधी
स्वभाव था समस्त विश्व में श्रत्रिय कुल के विद्रोही के रूप में विख्यात था उन्होंने अनेको बार पृथ्वी को श्रत्रियों से विहीन कर इस पृथ्वी को ब्रह्मणों को दान में दिया था I
लक्ष्मण ने वीर योद्धा की निम्नलिखित विशेषताए बताई थी –
1. वीर पुरुष किसी के विरुद्ध गलत शब्दों का प्रयोग नहीं करते थे I
2. वीर पुरुष स्वय पर कभी अभिमान नहीं करते है I
3. शूरवीर युद्ध में वीरता का प्रदर्शन करके ही अपनी शूरवीरता का परिचय देते थे I 4. वीरता का व्रत धारण करने वाले वीर पुरुष धेर्यवान और श्रोभरहित होते थे I
साहस और शक्ति के साथ अगर विन्रमता न हो तो व्यक्ति अभिमानी एव उधड बन जाता था साहस और शक्ति ये दो गुण एक व्यक्ति को श्रेष्ट बनाते थे परन्तु यदि विन्रमता इन गुणों के साथ आकर मिल जाती थी तो वह उस व्यक्ति को श्रेष्ठतम वीर की श्रेणी में ला देते थे I
(क) प्रसग – प्रस्तुत पक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई थी उक्त
पक्तियाँ में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया जाता था I भाव – लक्ष्मणजी हसकर कोमल वाणी से परशुराम पर व्यग्य कसते हुए बोले मुनीश्वर तो अपनो को बड़ा भारी योद्धा समझते थे मुझे बार बार अपना फरसा दिखाकर डरा रहे थे I
(ख) प्रसग प्रस्तुत पक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली थी उक्त पक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया था I भाव – भाव यह है कि लक्ष्मण जी अपनी वीरता और अभिमान का परिचय देते हुए कहते थे कि हम कोई छुई मुई के फूल नहीं थे जो तर्जनी देखकर मुरझा जाए हम बालक अवश्य थे परन्तु फरसे और धनुष बाण हमें देखा तो लगा सामने कोई वीर योद्धा आया था I
(ग) प्रसग – प्रस्तुत पक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस से ली गई थी उक्त पक्तियों में परशुराम जी द्वारा बोले गए वचनो को सुनकर विश्वामित्र मन हि मन परशुराम जी समझ पर तरस खाते थे I भाव – विश्वामित्र ने परशुराम के वचन सुने परशुराम ने बार बार कहा
कि में लक्ष्मण को पलभर में मार देता विश्वामित्र ह्रदय में मुस्कुराते हुए परशुराम पर तरस खाते थे और मन ही मन कहते थे जिन्हें ये गन्ने की खाड समझ रहे थे वे तो लोहे से बनी तलवार की भाति थी I
तुलसीदास रससिद्ध कवि थे उनकी काव्य भाषा रस की खान थी तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखी गई थी यह काव्याश रामचरितमानस के बालकड से ली गई थी तुलसीदास ने इसमें दोहा छद चोपाई का बहुत सुंदर प्रयोग किया था प्रत्येक चोपाई संगीत के सुरों में डूबी हुई प्रतीत होती थी I
(1) लक्ष्मण जी परशुराम जी से धनुष को तोड़ने का व्यग्य करते थे और कहते थे कि हमने अपने बालपन में ऐसे अनेको धनुष तोड़े थे तब हम पर कभी क्रोध नहीं किया था I
(2) परशुराम जी क्रोधित होकर लक्ष्मण से कहते थे अरे राजा के बालक तू अपने माता पिता को सोच कड़े वंश न करते थे मेरा फरसा बड़ा भयानक था यह गर्भो के बच्चो का भी नाश करने वाला था I
(3) यहाँ विश्वमित्र जी परशुराम की मन ही मन व्यग्य कसते थे और मन ही मन कहते थे कि परशुराम जी राम लक्ष्मणको साधारण बालक समझ थे है उन्हें तो चारो और हरा ही हरा सूझ रहते थे I
Join thousands of students who have improved their academic performance with our comprehensive study resources.