जब उनपर लोग पानी डालते तब वे प्रसन्नता पूवर्क पानी से सरोबार होकर धूल में लोट पोट जाते है गाव के कुछ लोगो को लडका का नग धडग होकर कीचड़ में लथपथ होने से बुरा लगता है वे इस गवारपन और अधविशवास समझते है I
पर्यावरण से सबध अन्य सकट निम्न है मोसम मे बदलाव , भूमि का बजर होना , वायु प्रदुषण की अधिकता , तापमान में उपलब्दी होना I
हमारी दादी – नानी अनेक प्रकार के व्रत – उपवास , त्योहार , धार्मिक अनुष्ठान आदि में गहरी आस्था रखते है उनकी इस आस्था से हम सभी प्रभावित होते थे हम उनकी कुछ आस्थाओ को अधविशवास भी माना करते है परंतु फिर भी उसका विरोध से उन्हें दुःख पहुचेगा और साथ ही पारिवारिक शांति भी भग होती है
जीजी ने इदर सेना पर पानी फेके जाने को निम्न तर्को द्वारा सही ठहराया त्याग और दान की महत्ता ऋषि मुनियों ने दान को सबसे उचा स्थान देता है जो चीज़ अपने पास भी कम हो और अपनी आवश्यकता को भूलकर वह चीज़ दुसरो को ज्ञान कर देना ही त्याग माना गया है कुछ पाने के लिए कुछ देना हि पड़ता है I
गुडधनी अनाज और गुड के मिश्रण को कहते थे I यहा पर गुडधानी से तात्पर्य अच्छी फसल से रहती है हमारी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित होती है इसकारण जब अच्छी वर्षा होती है तभी अच्छी फसल होती है इसलिए पानी के साथ गुडधानी की माग करने जाते है I
बैल हमारी कृषि संस्कृति का अविभाजित हिस्सा था या यू कहे बैल भारतीय कृषि संस्कृति की रीढ़ की हडी है किस्सान बेलो से ही खेतो को जोतकर अन्न उपजाते थे उनके प्यासे रहने पर कृषि प्रभावित थी I
भारतीय समाज संस्कृति में गंगा सबसे पूजनीय नदी और जल का आदिम सोत्र था जिसका भारतीय इतिहास में धार्मिक पोराणिक और सास्कृतिक महत्व था वह भारतीयों के लिए केवल एक नदी नहीं अपितु माँ थी उसमे पानी नहीं अपितु अमृत तुल्य जल बहता था I
लेखक की जीजी लेखक से अनगिनत ऐसे धार्मिक कार्य एव आयोज़न करवाती है जिससे वह स्वय अधविशवास मानता है परंतु अपनी जीजी से आगाध प्रेम होने के कारण वह सभी कार्यो को बिना किसी तर्क के पूरा करता है यहा तक कि इदर सेना पर पानी नफेकने वाले उसके अपने तर्क के आगे हार गए इस कारण जीजी से उसका भावनात्मक लगाव है I
इदर सेना सही मायनो में आज के युव वर्ग का बन जाता है क्योकि किसी भी सामाजिक समस्या को यदि सुलझाना हो तो उसके लिए सामूहिक प्रयास ही आवश्यक रहता है और यही प्रयास इदर सेना के साथ भी करते है यधपि उन्हें गाववालो की आलोचना का सामना भी करते थे I
आषाढ का महीना वर्षा ऋतु का प्रतीक मन जाता है यह महीना किसानो में अच्छी एव नयी फसल की आशा जगाता था इसी महीने में अधिकतम वर्षा भी थी इस कारण आशाढ शुरू होते है किसानो में वर्षा की आशा अच्छी उम्मीद और उलास बढने लग रहा है I
कवि निराला की कविता बादल राग में बादलो को क्रांति के प्रतीक के रूप दर्शाता रहता है बादल शोषको द्वारा मुक्त कर उन्हें उनका आधिकार दिलाता था उन्हें जाग्रत करता रहता है उसी प्रकार हमारे जीवन में बादल अहम भूमिका निभा रहे है I