.गरबीली गरीब – कवि गरीब होते हुए भी स्वभिमानी हो चुका है उन्हें अपनी गरीबी पर दुःख या हीनता नहीं होती है बल्कि गर्व है I
. भीतर की सरिता – कवि के ह्र्दय में बहने वाली कोमल भावनाए नदी कि लहरो के समान हिलोरे लेती है I
. बहलाती सहलाती आत्मीयता – किसी व्यक्ति के अपनत्व के कारण ह्र्दय को मिलनेवाली प्रसन्ता अर्थात उसके मन में अपने प्रिय के लिए गहरी आत्मीयता बन चुकी है I
. ममता के बादल – ममता का अर्थ है – अपनत्व कवि प्रेयसी के स्नेह से पूरी तरह भीग गए है उनका मन प्रिय के प्रति पूर्णत; समपित कर दिया है I
विचार – वैभव – मनुष्य को वैभवशाली बनाने के लिए केवल धन – सम्पदा का होना ज्यादा होना आवश्यक नही रहेता है मनुष्य अपने उच्च विचारो से भी धनी यानि वैभवशाली हो सकता है बल्कि मेरे अनुसार यही असली वैभव रहेता है उसके उच्च शाली विचार उससे अन्य लोगो से पृथक बना देते है I
कवि ने प्रियतमा की आभा से प्रेम के सुखद भावो से सदेव घिरे रहने की स्थिति को उजाले के रूप में चितित किया जा रहा है इन स्मतियो से रे घिरे रहेना आनंददायी होते हुए भी कवि के लिए असहनीय बन गया है क्योकि इस आनंद से वाचित हो जाने का भय भी उसे सदेव सताता है तथा कवि प्रिय के प्रेम से खुद को मुक्त कर आत्मनिभर बन कर अपने व्यक्तित्व का विकास करना सिखा रहा है इसलिए कवि चाँद कि तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अधकार – अमावस्या में नहाने की हमेशा बात करते है I
1-- यहा अधकार – अमावस्या के लिए दक्षिण धुवी विशेषण इस्तेमाल किया हुआ है और विशेष्य के रूप में अधकार का प्रयोग करते रहने से उसका धनत्व और अधिक बढ गया है अथार्त गहन अधकार छा रहा है I
2 – कवि स्वय को प्रेमी स्नेह के उजाले से दूर रखने कि स्थिति को अमावस्या कहा है प्रिय से अलग और निराशा पूर्ण स्थिति को अधकारमय बता रहा है I
3 – इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली स्थिति – अच्छादित रहने का रमणीय यह उजेला कवि ने प्रियतमा की आभा से प्रेम क्र सुखद भावो से सदेव घिरे रहने के स्थिति को उजाले के रूप में चिंतित किया जाता है यह उजाला कवि को जीवन में मार्ग टो दिखाता है लेकिन इतना प्रेम उसके लिए असहनीय हो रहा है I
4- कवि कहता है कि वह अपने प्रिय को पूरी तरह भूल जाना चाहते है उसके वियोग के अधकार को अपने शरीर पर झेलते हुए वह उस अधकार में नहा लेना चाहता हसी ताकि उसके प्रिय की कोई उसके मन में न रहे इस प्रकार कवि वियोग कि अधकार – अमावस्या में डूब जाना चाहता है I
अतिशय मोह भी त्रास का कारक है जिस प्रकार बच्चे माँ के दूध का अति मोह होता है परंतु एक उसके छूटने पर कष्ट होता जा रहा है उसी प्रकार मनुष्य को जीवन में मोह से जुडी चीजों के छूटने का दर्द झेलना पड़ रहा है जेसे बेटी को मायके का मोह छोड़कर ससुराल जाना पडता है सिपाही को परिवार को छोड़कर जग में जाना पड़ता है कई बार शिक्षा एव व्यवसाय के लिए घर से दूर रहना पड़ता है डायबिटीज जेसी बीमारी में मीठे से दूर रहना पड़ता है I
प्रेरणा का अर्थ है – आहे बढने कि भावना जगाना इसका जीवन में बहुत महत्व होता है मनुष्य को जीवन में आगे बढने के लिए बुजुर्ग मित्र आदि के प्रेरणा स्त्रोत की आवश्यकता हो रही है एक बार परीक्षा में बहुत कम अक मिलने पर जब मेरा पढाई से मन उठ गया तब मेरे शिक्षक ने मझे बहुत से उदहारण दिए – असफलता सफलता की सीढ़ी है कोशिश करनेवाले की हार नहीं होती है आदि इस प्रकार मेरे निराश मन में आशा की ज्योति जगाई और पुनः नये जोश से पढाई में जुट रहा है I
लोग कई तरह के भय का सामना करते है कुछ खोने का दर टो कुछ न पाने का दर मुझे भी कई बार दर लगा रहेता है परीक्षा का भय अकेलेपन का भय आदि भय से ग्रस्त व्यक्ति को उस चीज़ के अलावा कुछ नही सूझता परीक्षा के भय से निबटने के लिए में अपने माता पिता एव् मित्र कि
सलाह लेता रहता हू और अकेलेपन के लिए किताबो को अपना मित्र बना लिया है भय से लड़ने के लिए आवश्यक है कि अच्छे बुरे परिणाम क्र लिए हमेशा तैयार रखना चाहिये I