(1) नए बसते इलाके में कवि रास्ता इसलिए भूल जाता था क्योकि हर बार जब भी वह
आता था उसे कुछ नया देखने को मिलता था जो पुराने से पूरी तरह भिन्न थी I
(2) पीपल का पेड़ ढहा हुआ पुराना मकान लोहे का फाटक और जमीन का खाली टुकड़ा था ऐसे निशान है जिनके सहारे लेखक अपने पुराने घर तक पहुचता है I
(3) कवि एक घर पीछे या दो घर आगे इसलिए चला जाता था क्योकि उसके पुराने पहचान चिह्न उसे धोका देते थे I
(4) इन पक्तियों से यह अभिप्राय था जहा पहले कभी हर भरा है वहा अब ककीट के जंगल बन गए थे अथार्त वह सुहाना मौसम लोगो का एक दूसरे के सुख दुःख में एक साथ होना अब सब
कल्पना हो गया था I
(5) आज की भाग दोड़ भरी दुनिया में सभी भाग रहे थे सब आगे निकलना चाहते थे किसी के पास भी किसी के लिए समय नही था सभी कम समय में सब कुछ पाना चाहता था I
(6) इस कविता में कवि ने यह दिखाया था कि बढ़ते शहरीकारण के कारण लोग बहुमंजिला इमारतो के छोटे छोटे मकानों में सिमट कर मकानों में रहते थे गाँवों के बड़े बड़े मकानों से आकर उनकी दुनिया इन छोटे छोटे मकानों में सिमट कर रह गई थी I
(1) कवि का कहना था कि आज की इस तेज़ी से बदलती दुनिया में अब स्मति का कोई भरोसा नही रहा था आप कोई पहचान लेकर कोई मकान ढूढना चाहो तो बहुत मुश्किल होता था I
(2) कवि के अनुसार आजे के जमाने में कोई किसी को नही पहचानता किसी के पास किसी के लिए समय नही थी सब एक दूसरे से आग निकलना चाहते थे ऐसे में कवि अभी भी सोचता था I
(1) खुशबू रचने वाले हाथ शहर की भीषण गंदगी के बीच गरीबी बहुत ही गंदी बस्ती में रहते थे
(2) कविता में उभरी नसों वाले घिरे नाखूनों वाले , पीपल के पत्तो जेसे नये जूही की डाल से खुशबूदार और गंदे कटे फटे हाथो की चर्चा होती थी I
(3) कवि ने ऐसा इसलिए कहा था क्योकि अगरबत्तिया बनाने वाले हाथ भयकर गंदगी में रहते हुए भी पूरे शहर के लिए खुशबू का सामन तैयार और करते थे I
(4) जहां अगरबत्तिया बनती थी वहां चारो और गंदगी बदबू और घुटन का माहोल बना रहता था लोग कूड़े के ढेर और नाले के किनारे पर रहने को मजबूर थे I
(5) कविता लिखने का मुख्य उद्देश्य यही था कि केवल खुशबू की चाह करने वाले लोगो को इस बात से अवगत करना था जिस खुशबू को पाकर आप लोग खुश होते थे I
1 (i). कवि के अनुसार अगरबती बनाने वाले हाथ छोटे छोटे बच्चो के थे जो बहुत कोमल होते थे पीपल के नए पत्तो की तरह कोमल था और जूही की तरह खुशबू फेलाने वाले थे I
(ii). कवि के अनुसार अगरबती बनाने वाले लोग इतने गरीब होते थे कि साफ़ सुथरी जगह पर रह भी नही सकते थे वे इतनी गंदगी के बीच रहते थे जहां आम आदमी जाने की सोच भी नही सकता था ऐसी परिस्थति में वे सभी के लिए अगरबत्ती बनाते थे I
(ख) कवि ने बहुवचन का प्रयोग इसलिए अधिक किया था क्योकि हमारे यहाँ गरीबो की सख्या भी अधिक थी और उनके द्वारा किये गए छोटे छोटे कार्य भी इनते अधिक थे कि उन्हें गिरना नामुकिन था I
(ग) कवि ने हाथो के लिए उभरी नसों , घिसे नाखूनों पीपल के पत्तो जूही की डाल और फटे हुए आदि विशेषणों का प्रयोग किया था I