1. लेखक अतिथि को भाव – भीनी विदाई देना चाहता है वह चाहता है कि जब अतिथि उसके घर से जाए वह यहाँ की एक अच्छी सी तसवीर अपने मन से लेकर जाता था I
2. (क) जब लेखक के घर में अनचाहा अतिथि आ गया था इस ख्याल से कि उसे अतिथि की खूब खातिरदारी करनी पडती थी इस महगाई के दोर में घर चलाना मुश्किल हो रहा था I
(ख) हमारी भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता माना जाता था वह इसलिए क्योकि अतिथि जब भी किसी के घर आता था तो उसका आगमन किसी देवता के आगमन से कम नही माना जाता था I
(ग) घर को स्वीट- होम इसलिए कहा जाता था क्योकि व्यक्ति को अपने घर में जो खुशी का माहोल मिलता था वह अन्य कही नही मिलता था यही माहोल जब किसी के कारण बिगड़ता था I
(घ) लेखक अपने अतिथि को पिछले चार दिनों से झेल रहा है और नोबत पकवान से लेकर खिचड़ी तक आ गई है दोनों के मध्य वार्तालाप भी बंद हो गया है I
(ड) देवता और मनुष्य दोनों अपने अपने स्थान पर ही अच्छे लगते थे देवता मंदिर में और मनुष्य समाज में अतिथि को देवता इसलिए कहा जाता था वह कही पर भी थोड़ी देर के लिए जाकर वहा की खुशियों को बढ़ा देता था I
1. लेखक अतिथि से ऊब चुका है वह यह चाहता है कि किसी तरह सम्मान के साथ वह विदा हो जाता था जब अतिथि ने कहा था कि वह धोबी से अपने कपड़े धुलवाना चाहता था यह आघात लेखक के लिए अप्रत्याशित है I
2. सम्बन्धो का सक्रमण के डोर से गुजरना का आशय था कि सबंधो में दूरी मन मुटाव या खटास आ जाना लेखक के घर जब अतिथि आया है तब लेखक ने उसका खूब आदर सत्कार किया था I
3. अथिति के चार दिनों तक भी न जाने से लेखक के व्यवहार बहुत बड़ा अंतर आ गया था हँसी मजाक से शुरु हुआ था बातचीत धीरे धीरे दूरी खमोशी में बदलने लगी आचे भोजन से खिचड़ी पर आ गए थे I