दूसरा देवदास - Doosra Devdas Question Answers: NCERT Class 12 Hindi - Antra

Exercise 1
Q:
A:

कलकल करती गंगा माता मानो जीवन को सुख प्रदान कर रही थी वहा विभिन्न घाट विधमान है हम हरकी पोड़ी नामक घाट पर गए थे पिताजी ने दादा जी के नाम का पिंडदान किया था हम शाम की आरती की प्रतीक्षा करने लगे थे सध्या के समय घाट में माँ गंगा में इन दीपो का सोना रूपी प्रकाश मिल रहा था मेरी आँखे ऐसा द्रश्य देखकर भावविभोर हो उठी थी I


Q:
A:

पारो को अपने सामने देखकर उसके मन में यह वाक्य उत्पन्न हुआ था जिस लडकी को पाने के लिए उसने कुछ देर पहले ही मनसा देवी में धागा बाधा है वह देवी के मंदिर के बाहर ही मिल गया था वह पारो को देखकर प्रसन्न हो उठा था आज उसकी मनोकामना शुभ परिणाम लेकर सामने आई है I


Q:
A:

 गंगापुत्र वे कहलाते थे जो गंगा मैया को अर्पण किये गए पेसे को गंगाजी की धाराओं क्र बीच लेकर आते थे लोग गंगा नदी पर पेंसे डालते थे गंगापुत्र उन पेसो को गंगा जी के बहते जल से बाहर निकलते थे यह कार्य बहुत जोखिम भरा होता था गंगा का जल प्रवाह कब इंसान को निगल जाता कहा नही जा सकता था इस काम में जितना जोखिम होता था उतना कमाई नही होती थी I


Q:
A:

 पुजारी ने अज्ञानवश लडकी के हम से यह अर्थ लिया था कि दोनों रिश्ते में पति पत्नी थे पुजारी ने उन्हें सुखी रहने फलने फूलने तथा हमेशा साथ आने का आशीर्वाद देता था इसका अर्थ था कि उनकी जोड़ी सदा सुखी रहता और आगे चलकर वे अपने परिवार तथा बच्चो के साथ आते थे I लडकी
को अपनी गलती का अहसास हुआ था क्योकि इसमें उसके हम शब्द ने यह कार्य किया है I


Q:
A:

सभव एक नोजवान है इससे पहले किसी लडकी ने उसके दिल में दस्तक नही दी है अचानक पारो से मुलाकात होने पर किसी लडकी के प्रति प्रेम की भावना जागरूक हुई है पारो को जब उसने गुलाबी साडी में पूरी भीगी हुई देखा था वह देखता रह जाता था उसका सोदर्य अनुपम है उसने उसके कोमल मन में हलचल मचा दी थी I


Q:
A:

मसा देवी जाने के लिए केबिल कार में बैठे थे सभव के मन में कल्पनाए जन्म ले रही है वह घाट में मिली लडकी से मिलना चाहता है उस लडकी की छवि उसके मस्तिष्क में बस गई है वे चारो और उस लडकी को पाने के लिए बेचेन है वह उसे केबिल कार में जाकर बेठा जिसका रंग है क्योकि उस लडकी ने गुलाबी साड़ी पहनी है I


Q:
A:

जब सभव ने पारो बुआ सुना था वह देवदास रचना में खो गया था जिस प्रकार देवदास की प्रेमिका पारो है वेसे भी यहाँ भी उसकी प्रेमिका पारो ही है उसने इसी पारो को पाने के लिए मसा देवी में मन्नत की गाठ बाधी है वह अपनी इसी पारो को देखना चाहता है I


Q:
A:

 सभव की दशा पारो को पहली बार देखकर पता चल जाती थी लेकिन पारो के मन में दशा का वर्णन उसके द्वारा मन में बोली गई थी इस पक्ति से होता था इससे पता चलता था कि सभव पारो के दिल में पहली ही मुलाकात में जगह पा गया है वह सभव को उतना ही मिलने को बेचेन था जितना सभव है I


Q:
A:

(क) सभव के देर से आने चिन्ताग्रस्त नानी उसे कहती है तू तेरना नही जानता था यदि स्नान करते थे फिसल गया था तो सीधे गंगा नदी में गिर जाता था फिर तो बचना सभव नही है यदि ऐसी कोई अनहोनी हो जाती थी तेरे माता को क्या जवाब देती थी माँ यही कहती थी कि मेने नानी के पास भेजा है और मुझे बेटा देखना नसीब नही हुआ था I

(ख) सभव गंगा नदी की धारा के मध्य एक व्यक्ति को देखता था जो माँ गंगा में सूर्य को जल अर्पण कर रहा था उसके चेहरे के भावो को देखकर सभव उनकी और आकर्षित हो जाता था वह गंगा मैया के मध्य खड़े होकर प्रार्थना कर रहे है उनके चेहरे पर प्रसन्नता और विनती का बहुत सुंदर रूप है उनके चेहरे पर यह भाव है मनो उन्होंने अपने अन्दर व्याप्त अहंकार को समाप्त कर दिया है I

(ग) इन पक्तियाँ में सभव चामुडामंदिर के बारे में व्याखा करता था वहा चामुडा रूप में स्थागित  मसा देवी को देखता था इसके साथ ही वह मंदिर स्थल के आस – पास सभी व्यापारिक गतिविधियाँ भी देखता था जहां कही पूजा का सामान बिक रहा है तो कही खाने का कही रुदराक्ष बिक रहा था I


Q:
A:

इस कहानी का नाम दूसरा देवदास बिलकुल उचित था यह शीर्षक कहानी की सार्थकता स्पष्ट करता था जिस प्रकार शरतचंद का देवदास अपनी पारो के लिए जीवन मारा मारा फिरता रहा वेसे ही सभव रुपी देवदास मारा फिरता रहा था वेसे ही सभव रुपी देवदास अपनी पारो के लिए मारा मारा फिरता था पारो की एक झलक उसे दीवाना बना देती थी वह उसे ढूढने के बाजार घाट यहा तक कि मनसा  देवी के मंदिर तक हो आता था उससे एक मुलाकात हो जाए इसके लिए मन्नत तक मागंता था I