लोमड़ी बेरोजगार है उसे पता चला है कि शेर के मुँह में रोजगार कार्यालय था जहां उसे नोकरी मिल सकती थी वह नोकरी की अर्जी जमा कराने के लिए स्वेच्छा से शेर के मुँह में चली जा रही है I
कहानी में लेखक ने शेर को सता का प्रतीक बताया था यह सता आम जनता को धोखा देकर तथा विभिन्न प्रकार के लालच देकर अँगुलियो में नचाने का प्रयास करती थी I
शेर का मुँह में गए जानवर कभी लोटकर नही आते थे वह मुँह में समाकर मर जाते थे या उनका अस्तित्व नष्ट हो जाता था रोजगार के दप्तर में ऐसी स्थिति नही होती थी यहाँ पर लोग नोकरी पाने की आशा में जाते थे वे यहाँ के चक्कर लगाते हुए थक जाते थे I
यदि लोगो को किसी बात पर विश्वास था वह प्रमाण को देखते नही थे बस विश्वास के सहारे ही खाई में गिरने को तैयार हो जाते थे शेर के मुँह के बाहर रोजगार का दप्तर देखते हुए भी अनदेखा कर देते थे उन्हें बस इस बात पर विश्वास था कि शेर के मुँह में जाकर ही उन्हें हर प्रकार का सुख प्राप्त होता था अत : वह प्रमाण भी अनदेखा कर देते थे I
राजा ने जनता को ऐसा हुक्म इसलिए दिया ताकि लोग राजा के आत्याचार शोषण तथा दोहन के प्रति उपेक्षित हो जाता था इस तरह वह लोगो का मनचाहा शोषण कर उनसे अपने कार्य करवाता था इस तरह वह लोगो को मनचाहा प्रयोग कर रहा है I
आँखे बंद रखने से लोगो ने लंबे समय तक अपना शोषण करवाया था उन्होंने आँखे बंद करके राजा को उनका शोषण करने की पूरी आजादी दे दी है उत्पादन श्रमता का विकास हुआ था एकाग्रता अवश्य बड़ी पर वह मात्र भ्रम है आँखे खोलकर देखने से उन्हें समझ में आया था वह अभी तक क्या कर रहे है I
(क) प्रजा अपनी आँखे बंद कर ले I- इसमें छिपा निहितार्थ था कि लोग राजा के अत्याचार शोषण तथा दोहन के प्रति उपेक्षित हो जाता था इस तरह वह लोगो को मनचाहा शोषण कर उनसे अपने कार्य करवाता था I
(ख) प्रजा अपने कानो में पिघलता सीसा डलवा दे I – इसमें छिपा निहितार्थ था कि लोगो द्वारा सुनने की श्रमता खत्म करके अपने विरोधियो को चुप रख सकता था लोग राजा के विरुद्ध सुन ही नही पाते थे वह उसका विरोध केसे करेगे I
(ग) प्रजा अपने मुँह को सिलवा ले I- इसमें छिपा निहितार्थ था कि लोगो के विरोध करने की शक्ति को ही समाप्त कर देना था I
जनता राजा की स्थिति की और आँखे बंद कर ले उसका राज्य पर बुरा प्रभाव पड़ता था राजा तानशाही हो जाता था इससे उनकी प्रगति तथा विकास होगा ही नही वे राजा की आज्ञा के गुलाम बनकर रह जाते थे उनकी मेहनत पर राजा अधिकार कर लेता था और उन्हें अपना गुलाम बना देता था I
इतने समय तक राजा के कहने पर अँधे गूगे तथा बहरे बनने से प्रजा ने अपना अस्तित्व ही समाप्त कर दिया था अब वे राजा की कठपुतली है यदि वे अपनी मर्जी से देखना था उनके पास अब कुछ शेष नही है वे अपनी पहचान खो चुके है राजा के अतिरिक्त उन्हें कुछ दिखाई नही देता था राजा उनकी पहचान बन जाता था I
1. मिल मालिक ने कई विख्यात वैज्ञानिको को कई वर्षो तक मोती तनख्वाह पर रखा था लेकिन उसे इसका कोई परिणाम नही निकला था I
2. उसने मृत व्यक्तियों के हाथ मंगवाकर मजदूरो पर लगवाए लेकिन वे व्यर्थ था I
3. उसने लकड़ी के हाथ बनवाकर मजदूरो पर लगवाए लेकिन इससे कुछ न मिला था I
चार हाथ न लग पाने पर मिल मालिक की अच्छा था कि मजदूरो की मजदूरी कम करके नए मजदूर इसी मजदूरी में रख लेता था और अपना कार्य तेजी से करवाता है I
साझे की खेती के बारे में हाथी ने किसान को बताया था वह उसके खेतो की रक्षा करता था बाद में दोनों फसल को आधा आधा बाँट लेते थे उसने बताया था उसके साथ साझा खेती करने का यह फायदा था कि जंगल के छोटे जानवरों से उसका खेत सुरक्षित रहता था I
हाथी ने खेती की रखवाली के लिए जंगल में यह घोषणा की कि किसान की खेती में उसका भी साझा था किसी भी जानवर ने उसकी इस घोषणा की अनदेखी थी उसके लिए यह उचित नही था I
हाथी ने किसान को कहा था कि हम मिलकर खाते थे साझे का अर्थ यह नही था कि फसल को आधा आधा बाट लेता है साझे का अर्थ था कि दोनों एक गन्ने को मिलकर खाते थे किसान ने विवश होकर हाथी के साथ गन्ना आरभ किया वह खीचते हुए हाथी के मुँह की ओर जाने लगा था I