जहाँ कोई वापसी नहीं - Jahan Koi Wapsi Nahi Question Answers: NCERT Class 12 Hindi - Antra

Exercise भाषा शिल्प
Q:
A:
  • मूक सत्याग्रह – जब हम किसी बात के विरोध स्वरूप चुप रहकर सत्य के लिए आग्रह करते थे इसे मूक सत्याग्रह कहते थे अमझर गाँव के लोगो द्वारा यह सत्याग्रह किया गया है I
  • पवित्र खुलापन – प्राय : खुलापन अपवित्रता की निशानी मानी जाती थी इसमें मनुष्य अपनी लज्जा को खो देता था पवित्र खुलापन में ऐसा नही होता था सबधो की पवित्रता पर ध्यान रखा जाता था तब खुलकर बोला जाता था I
  • स्वच्छ मांसलता – ऐसा शारीरिक सोदर्य तथा जिसमें अश्लीलता के स्थान पर पवित्र भाव था लेखक यह पक्ति गाँव की चावल के खेत रोपती स्त्रियों के लिए कहता था I
  • ओधोगीकरण का चक्का – विकास और प्रगति के लिए किया गया तकनीको से युक्त प्रयास ही ओधोगीकरण कहलाता था I
  • नाजुक संतुलन – ऐसा सबध जो हमेशा दो लोगो के मध्य होता था इसे जरा सा धक्का तक तोड़ देता था ऐसा ही नाजुक संतुलन लेखक ने मनुष्य तथा संस्कृति के मध्य बताया था I

Q:
A:
  • मटियामेट होना – इसका अर्थ था समाप्त हो जाना यह मुहावरा मिट्टी से बना था कि मिट्टी में ही मिल जाना था I
  • आफत टलना – मुसीबत चली जाना
  • न फटकना – पास न आने देना या पास न जाना I

Q:
A:

कितु यह भ्रम है यह बाढ़ नही पाने में डूबे हुए धान के खेत है हम थोड़ी सी हिम्मत बटोकर गाँव के भीतर गए हैI वे औरते दिखाई दी थी जो एक पांत में झुकी हुई धान के पोधे छप छप पानी में रोप रही है सुंदर सुडोल धूप में चमचमाती काली टाँगे और सिरों पर चटाई के किश्तीनुमा हैट जो फोटो या फिल्मो में देखे हुए वियतनामी या चीनी औरतो की याद दिलाती है I


Exercise 1
Q:
A:

अमझर दो शब्दों से मिलकर बना था आम तथा झरना इस आधार पर अमझर शब्द का अर्थ हुआ वह स्थान जहा आम झरते थे जबसे यह घोषणा गाँव में पहुची थी कि आमरोली प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए नवागाँव के बहुत से गाँव को नष्ट कर दिया था I


Q:
A:

आधुनिक भारत के नए शरणार्थी हजारो गाँव के उन लोगो को कहा गया था जिन्हें आधुनिकता के नाम पर अपना गाँव छोड़ना पडा था भारत की प्रगति तथा विकास के लिए इन्हें अपने घर , खेत – खलिहान , जमीन इत्यादि छोडनी पड़ी थी वे विस्थापन का वह दर्द झेल रहे थे I


Q:
A:

प्रकति के कारण जो विस्थापन मिलता था उसकी श्रतिपूर्ति कुछ समय बाद की जा सकती थी लोग प्रकति आपदा के बाद पुन अपने स्थानों पर जा बसते थे सबकुछ नष्ट होने का दुःख होता था लेकिन अपनी जमीन से वे जुड़े रहते थे उसे पुन: मिलने की आशा होती सी नही थी


Q:
A:

यूरोप में लोग मानव तथा भूगोल के मध्य बढ़ रहे थे असतुलन को लेकर चिंताए थी भारत में स्थिति इसके विपरीत थी यहाँ पर्यावरणीय चिंताए मानव तथा संस्कृति के मध्य समाप्त होते थे I


Q:
A:

लेखक के अनुसार स्वत्त्र्योतर भारत के शासन वर्ग ने ओधोगीकरण को भारत के विकास और प्रगति के रूप में चुना था उनका मानना है कि ओधोगीकरण को अपना कर भारत को पुन: अपने पेरो पर खड़ा किया जा सकता था हम चाहते थे यह प्रयास कर सकते है I


Q:
A:

ओधोगीकरण पर्यावरण का सकट पैदा करने में सबसे बड़ा कारण रहा था इसका प्रभाव यह पडा कि प्राकर्तिक असतुलन बढ़ गया था इसमें भूमि वायु तथा जल प्रदूषण ने प्रकति के संतुलन को बिगाड़ दिया था और के सोंदर्य को नष्ट कर दिया था I


Q:
A:

(क) प्रकति तथा मनुष्य का बहुत गहरा सबध था मनुष्य सदेव से प्रक्रति के साथ तालमेल बिठाकर जीया था अत यदि मनुष्य दुखी होता था पेड़ और मनुष्य का रिश्ता सदियों से साथ का रहा था पेडो ने मनुष्य सभ्यता को बढ़ाया ही नही था बल्कि उनका पालन पोषण भी किया था I

(ख) प्रकति और इतिहास के बीच का अंतर उनके स्वभाव से स्पष्ट हो जाता था जब किसी आपदा को भेजती थी पुन: मनुष्य को जीने का अवसर प्रदान करती थी यह सब ही जानते थे कि इतिहास जब मनुष्य सभ्यता को उजाड़ता था तो उसके अवशेष ही मात्र रह जाते थे I


Q:
A:

(क) आधुनिक शरणार्थी उन्हें कहते थे जिन्हें ओधोगीकरण की आँधी के कारण विस्थापन का जहर भोगना पडा था I

(ख) सभी जानते थे कि मनुष्य के विकास के नए साधन उपलब्ध करवाता था इसकी कीमत पर प्रकति का दोहन उचित नही था हमे ओधोगीकरण को बढ़ावा देने से पूर्व यह सुनिशित कर लेना था I

(ग) मनुष्य के विकास के साथ साथ संस्कृति का विकास हुआ था यदि इनमे से कोई एक टूटती थी यह मानना कि बाकि को कोई नुक्सान नही पहुचेगा मुर्खता थी हमे प्रयास करना था इनके मध्य के सबध को जोड़े रखता था I


Q:
A:

(क) इसका भाव सोदर्य देखते ही बनता था लेखक एक गहरी बात को बहुत सुंदर शब्दों में व्यक्त करता था इन शब्दों के माध्यम से बताना था कि यदि कोई इलाका खनिज सपदा से युक्त था तो नही मानना था कि वह उसके लिए अभिशाप बन जाता था ऐसा अभिशाप जो उसके नष्ट होने के कारण बन जाता था I

(ख) इस पक्ति के माध्यम से लेखक ने प्रकति तथा मनुष्य के मध्य सबध की घनिष्टता को बहुत ही सुंदर रूप में अभिव्यक्त किया था शब्दों के मोती भाव को इतनी सुंदरता से व्यक्त करते थे कि पक्ति पढ़कर ही मन प्रसन्न हो जाता था इसमें लेखक बताना चाहता था कि भारतीयों के साथ अपने गहरे सबध को इतिहास में नही लिखा था बल्कि उसे रिश्तो में इस प्रकार रचा बसा लिया था कि उसे अक्षरों की आवश्यकता नही थी I