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Welcome to the Chapter 18 - Hastkshep, Class 11 Hindi - Antra NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 18 - Hastkshep. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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ह्स्तश्रेप कविता के माध्यम से कवि श्रीकांत वर्मा मगध के कटु सत्य से साश्रात्कार कराते थे मगध से उनका आशय शासन व्यवस्था से थी वे शासन व्यवस्था के यथार्थ स्वरूप का चित्राकंन करते थे वे अपने शब्द रुपी बाणों का प्रयोग करते थे वे शासन वे मनमाने स्वरूप की व्याख्या करते थे वे शासन के मनमाने स्वरूप की व्याख्या करते थे मुख्यत किसी भी देश की शासन व्यवस्था उस देष की जनता की रक्षा हेतु नियुक्त की जाती थी किंतु मगध में केवल सता का बोल बाला था I
हस्तश्रेप कविता में श्रीकांत वर्मा निरकुश शासन व्यवस्था का वर्णन करते थे वे निरकुश व्यवस्था की व्याख्या के साथ इस व्यवस्था का विरोध भी करते थे वे इस व्यवस्था के विरोध का सर्वप्रमुख अस्त्र इस व्यवस्था में हस्तश्रेप करने को मानते थे वे मानते थे अगर सामान्य जनता अपनी शासन व्यवस्था के कार्यो में और उनके प्रत्येक कार्य को आँख बंद कर कबूलने के बजाय उसके प्रति अपनी प्रतिक्रिया भी सुनिशिचित करते थे I
इस कविता में मगध एक प्रतीकात्मक निरकुश शासन के रूप में चित्रित था भारत में मगध का एतिहासिक महत्त्व था श्रीकांत वर्मा जनता का मगध में ह्स्तश्रेप करने से इसलिए भयभीत थे क्योकि मगध एक निरकुश व्यवस्था का प्रतीक था जहां केवल सतावादीवर्ग को अभिव्यक्ति की इजाजत था सामान्य जनता को इस शासन व्यवस्था में बोलने का अधिकार नही था I
मगध अब केवल कहने को मगध था रहने को नही यह उक्ति मगध पर कटाक्ष था भारतीय इतिहास गवाह था कि मगध एक बहुत शक्तिशाली और सपन्न साम्रज्य है किन्तु केवल कहने के लिए सुख सुविधाओ से सपन्न है यह निरकुश व्यवस्था के कारण पतनोमुख अवस्था तक पंहुचा है उसी प्रकार श्रीकांत वर्मा जी शासन व्यवस्था के मुखोटे की और इशारा करते थे I
मगध में लोग भय के साथ अपना निर्जीव जीवन बिता रहे थे वे जीवित था एक जीवित व्यक्ति का स्वभाव जिज्ञासु होता था आसपास की हलचलों में स्वय की प्रतिक्रिया सुनिश्रित करने से होता था किंतु कविता के अनुसार जनता एक बिना आँख जुबान कान के मृत व्यक्ति के समान हो गई थी वे किसी भी तरह के अन्याय के विरुद्ध आवाज नही उठा रही थी I
मगध को बनाए रखना था तो मगध में शांति बनाई रखनी थी इस पक्ति से कवि श्रीकांत वर्मा का आशय था कि इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलायमान रहने के लिए शांति अत्यत आवश्यक था इन पक्तियों में शांति से अभिप्राय शासन व्यवस्था में ह्स्तश्रेप न करने से थे I
यह कविता सता की कूरता की वाचिक थी इस कविता में लोगो को उनके स्वाभाविक कर्म छीकने तक पर रोक थी यह एक स्वाभाविक कर्म छीकने तक पर रोक था यह एक स्वाभाविक कर्म था जिसका अर्थ शासन व्यवस्था के अमानवीय व्यवहार की और इंगित करता था वही चीखने पर भी रोक लगा दी थी चीखना व्यक्ति के क्रोध की अभिव्यक्ति थे जिसकी अनुमति तक मगध में नही दी गई थी I
इसका उत्तर आप अपने अध्यापक से सलाह करके दे I
इसका उत्तर आप अपने अध्यापक से सलाह करके दे I
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