sandhya-ke-badWHERE cd.courseId=2 AND cd.subId=33 AND chapterSlug='sandhya-ke-bad' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='2' AND subId='33' AND chapterId='1147' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED)
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सध्या के समय सूर्य की किरणे लाल रंग की हो जाती थी ये किरणे लाल रंग की हो जाती थी ये किरणे जब पीपल के पतो से होकर गुजरती थी तो ऐसा लगता था जेसे पीपल के पते ताँबे के रंग के हो गए थे जब सध्या के समय पेड़ के पते ताँबे के रंग के हो गए थे जब सध्या के समय पेड़ के पते झरते थे तो वह किसी झरने के समान शोभा देते थे I
पंत जी ने कविता में नदी के किनारे बेठी बूढी महिलाओं का वर्णन किया था उन्होंने बताया था कि वे बूढी महिलाए जो नदी के किनारे बैठी थी वह किसी बगुले जेसी लग रही थी जो शिकार के इंतजार में बेठा था पंत जी कहते थे कि उन बूढी महिलाओं का दुःख बिलकुल नदी की बहती धारा के जेसा था पंत जी की इस कविता में हमे बगुले और बूढी महिलाए दोनों ही देखने को मिलते थे I
(क) गाँव के घरो में रोशनी पाने के लिए डिबरी का उपयोग किया जाता था इससे रोशनी से ज्यादा धुँआ प्राप्त होता था I
(ख) गाँव के लोगो की निराशा दीपक की लो जेसी होती थी I
(घ) गाँव के बनिया ग्राहकों का इंतजार करते रह जाते थे I
लाला हमेशा यही सोचता रहता था कि उसे ही इतने दुःख क्यों मिलते थे वह खुशी और आराम के साथ अपनी जिंदगी क्यों नही व्यतीत कर पाता था उसके पास अपने परिवार वालो को देने के लिए एक अच्छा घर भी नही था ऐसा क्यों था वह शहरो के बनियों कि तरफ सफल क्यों नही था वह सोचता था कि आखिर किउसने उसकी सफलता को रोक रखा था I
1. कर्म और गुण के जेसे ही सकल आय – व्यय का वितरण होना था I
2. सामूहिक जीवन का निर्माण किया जाता था I
3. समाज को धन का उतराधिकारी बनाया जाता था I
4. श्रम सब में समान रूप से बटे I
प्रस्तुत पक्ति में कवि समाज में समानता के अधिकार की कल्पना कर रहा था जहां कसी भी प्रकार का वितरण मनुष्य के कार्यो और गुणों पर आधारित होना था प्रत्येक मनुष्य को उसके कम करने की श्रमता के आधार पर काम दिया जाता था जिसे वो भली भाति कर सके और खुद के लिए अच्छी आमदनी कर सकता था इससे समाज में गरीबी दूर होगी और मजबूत बना था है I
अध्यापक से सलाह करके उत्तर दे
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