bhagavaan-ke-daakieWHERE cd.courseId=12 AND cd.subId=23 AND chapterSlug='bhagavaan-ke-daakie' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='12' AND subId='23' AND chapterId='1294' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED)
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कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए इसलिए कहा था क्योकि जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने का काम करते थे उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान का सदेश हम तक पहुचाते थे उनके लाए संदेश को हम भले ही न समझ पाते थे पर पेड़ पोधे , पानी और पहाड़ उसे भली प्रकार पढ़ समझ लेते थे I
पक्षी और बादल द्वारा लायी गई चिट्टियो को पेड़ पोधे पानी पहाड़ पढ़ पाते थे I
(क) पक्षी और बादल , ये भगवान से डाकिए थे जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते थे I हम तो समझ नही पाते थे I मगर उनकी लाई चिट्टियो पेड़ , पोधे , पानी और पहाड़ बाचते थे I
(ख) और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता था I
कवि का कहना था कि पक्षी और बादल भगवान के डाकिए था जिस प्रकार डाकिए संदेश लाने काम करते थे पक्षी और बादल चिट्टियो में पेड़ पोधे , पानी और पहाड़ भगवान के भेजे एकता और सदावना के संदेश को पढ़ पाते थे इसपर अमल करते नदियाँ समान भाव से सभी लोगो में अपने पानी को बाटती थी I
एक देश की धरती अपने सुगंध व प्यार को पक्षियों के माध्यम से दूसरे देश को भेजकर सदावना का संदेश भेजती थी धरती अपनी भूमि में उगने वाले फूलो की सुगंध को हवा से पानी को बादलो के रूप में भेजती थी हवा में उड़ते हुए पक्षियों के पंखो पर प्रेम प्यार की सुगंध तैरकर दूसरे देश तक पहुच जाती थी I
पक्षी और बादल की चिठ्ठीयो के आदान प्रदान को हम प्रेम , सोहार्द और वापसी सदाव की द्रष्टि से देख सकते थे यह हमे यही सदेश देते थे I
पक्षी बादल प्रकति के अनुसार काम करते थे किंतु , इंटरनेट मनुष्य के अनुसार काम करते थे बादल का कार्य प्रकति प्रेमी को प्रभावित करती थी किंतु इंटरनेट विज्ञान प्रेमी को प्रभावित करते थे पक्षी बादल का कार्य धीमी गति से होता था किंतु , इंटरनेट का कार्य तीव्र गति से होता था इंटरनेट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बात पहुचाने का ही सरल तथा तेज़ माध्यम था I
डाकिया भारतीय सामाजिक जीवन की एक आधारभूत कड़ी थी डाकिया द्वारा डाक लाना पत्रों का बेसर्वी से इतजार , डाकिया से ही पत्र पढ़वाकर उसका जवाब लिखवाना इत्यादि तमाम महत्वपूर्ण पहलू था जिन्हें नजरअंदाज नही किया जा सकता था उसके परिचित सभी तबके के लोग थे हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण था भले ही अब कंप्यूटर और ई- मेल का जमाना आ गया था पर डाकिया का महत्व अभी भी उतना ही बना हुआ था जितना पहले है I