kaamachorWHERE cd.courseId=12 AND cd.subId=23 AND chapterSlug='kaamachor' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='12' AND subId='23' AND chapterId='1298' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED)
At Saralstudy, we are providing you with the solution of Class 8 Hindi - Vasant Kaamachor according to the latest NCERT (CBSE) Book guidelines prepared by expert teachers. Here we are trying to give you a detailed answer to the questions of the entire topic of this chapter so that you can get more marks in your examinations by preparing the answers based on this lesson. We are trying our best to give you detailed answers to all the questions of all the topics of Class 8 Hindi - Vasant Kaamachor so that you can prepare for the exam according to your own pace and your speed.
कहानी में मोटे – मोटे किस काम के थे बच्चो के बारे में कहा गया था क्योकि वे घर के कामकाज में जरा सी भी मदद नही करते है तथा दिन भर उधम मचाते रहते है इस तरह से ये कामचोर हो गए है I
बच्चो के उधम मचाने से घर अस्त – व्यस्त हो गया था मटके – सुराहिया इधर उधर लुढक गए थे घर के सारे बर्तन अस्त – व्यस्त हो गया था पशु – पक्षी इधर उधर भागने लगे थे घर में धूल मिट्ठी और कीचड़ का ढेर लगा गया था मटर की सब्जी बनने से पहले भेड़े खा गई थी I
अम्मा ने बच्चो द्वारा किये गए घर के हालत को देखकर ऐसा कहा है जब पिताजी ने बच्चो को घर के काम काज में हाथ बटाने को कहा तब उन्होंने इसके विपरीत सारे घर को तहस नहस कर दिया था जिससे अम्मा भी बहुत परेशान हो गई है इसका परिणाम ये हुआ की पिताजी ने घर की किसी भी चीज को बच्चो को हाथ न लगाने कि हिदायत दे डाली थी
यह एक हास्यप्रधान कहानी थी यह कहानी संदेश देती थी की बच्चो को घर के कामो से अनभिज्ञ नही होना था उन्हें उनके स्वभाव के अनुसार , उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना था I
बच्चो द्वारा लिया गया निर्णय उचित नही है क्योकि स्वय हिलकर पानी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कमजोर बना देता था वे कभी भी कोई काम करना सीख ही नही पाते थे बच्चो को काम तो करना चाहिए पर समझदारी के साथ बडो को उनको काम सिखाना चाहिए था
अपनी श्रमता काम करना इसलिए जरुरी था क्योकि श्रमता के अनुरूप किया गया था कार्य सही और सुचारू रूप से होता था यदि हम अपने घर का काम या अपना निजी काम, नही करेगे तो हम कामचोर बन जाते थे I
भरा पूरा परिवार तब सुखद बन सकता था जब मिल जुलकर कार्य करे व सुखद तब बनता था जब सब स्वार्थ भावना से कार्य करते थे कामो के श्रम्तानुसार विभाजित करने से कहानी जेसी दुखद होने से बचा सकता था I
बड़े होते बच्चे यदि माता पिता को छोटे मोटे कार्यो में मदद करे तो वे उनके सहयोगी हो सकते थे जेसे अपना कार्य स्वय अपने आप स्कूल के लिए तैयार हो जाता था अपने खाने पीने बर्तन यथा सम्भव पर रख आते थे यदि हम बच्चो को उनका कार्य करने की सीख नही देते तो वह सहयोग के स्थान माता पिता के लिए भार ही साबित होते थे I
कामचोर कहानी सयुक्त परिवार की कहानी थी इन दोनों में अन्तर इस प्रकार थे – एकल परिवार में सदस्यों की सख्या तीनसे चार होती थी माँ पिता व बच्चे होते थे सयुक्त परिवार में सदस्यों की सख्या ज्यादा होती थी क्योकि इसमें चाचा – चाची ताऊजी – ताईजी , माँ पिताजी बच्चे सभी समिमलित होते थे एकल परिवार में सारा कार्य स्वय करना पड़ता था जबकि सयुक्त परिवार में मिलजुलकर कार्य करते थे I