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Welcome to the Chapter 12 - Sudama Charit, Class 8 Hindi - Vasant NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 12 - Sudama Charit. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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सुदामा की दीनदशा को देखकर दुःख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी थी उन्होंने सुदामा के पेरो को धोने के लिए पानी मँगवाया था परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले की उन्ही आँसुओ से सुदामा के पैर धुल गए थे I
प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया था कि जब सुदामा दीन हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो गए थे श्रीकृष्ण ने सुदामा के आगमन पर उनके पैरो को धोने के लिए परात में पानी मँगवाया था परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण को इतना कष्ट हुआ था की वे स्वय रो पड़े थे I
(1) उपयुक्त पक्ति श्रीकृष्ण अपने बालसखा सुदामा से कह रहे थे I
(2) अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चावल सकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को भेट स्वरूप नही दे पा रहे थे परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरे कहते थे और कहते थे कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण थे I
(3) बचपन में जब कृष्ण और सुदामा साथ साथ सदीपन ऋषि के आश्रम में अपनी अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे है तभी एकबार जब श्रीकृष्ण और सुदामा जंगल में लकडिया एकत्र करने आ रहे है तब गुरुमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए है I
द्वारका से खाली हाथ लोटते समय सुदामा का मन बहुत दुखी है वे कृष्ण द्वारा अपने प्रति किये गए व्यवहार के बारे में सोच रहे है कि जब वे कृष्ण के पास पहुचे तो कृष्ण ने आनन्द पूर्वक उनका आतिथ्य सत्कार किया है क्या वह सब दिखावटी है कृष्ण के व्यवहार से खीझ रहे है I
द्वारका से लोटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आँए तो अपनी झोपडी के स्थान पर बड़े बड़े भव्य महलो को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया था कि कही में घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नही चला आया था I
श्रीकृष्ण की कृपा से निर्धन सुदामा की दरिद्रता दूर हो गई थी जहा सुदामा की टूटी फूटी सी झोपडी रहा करती है वहा अब सोने का महल खड़ा था कहा पहले पैरो में पहनने के लिए चप्पल तक नही है वहां अब घूमने के लिए हाथी घोड़े थे पहले सोने के लिए केवल कठोर भूमि है और अब शानदार मुलायम बिस्तरों का इंतजाम था I
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