kabir-ki-saakhiyaanWHERE cd.courseId=12 AND cd.subId=23 AND chapterSlug='kabir-ki-saakhiyaan' and status=1SELECT ex_no,page_number,question,question_no,id,chapter,solution FROM question_mgmt as q WHERE courseId='12' AND subId='23' AND chapterId='1297' AND ex_no!=0 AND status=1 ORDER BY ex_no,CAST(question_no AS UNSIGNED) CBSE Class 8 Free NCERT Book Solution for Hindi - Vasant

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Chapter 9 : Kabir Ki Saakhiyaan


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Exercise 1 ( Page No. : 49 )
Q:
A:

तलवार का महत्व होता था म्यान का नही कबीर यह कहना चाहता था कि असली चीज की कद्र की जानी थी दिखावटी वस्तु का कोई महत्त्व नही होता था इसी प्रकार किसी व्यक्ति की पहचान अथवा उसका मोल उसकी काबलियत के अनुसार तय होता था न कि कुल , जाति धर्म आदि से उसी प्रकार ईश्वर का भी वास्तविक ज्ञान जरुरी था ढोग – आडबर तो म्यान के समान निरर्थक था असली ब्रह्म को पहचानो और उसी को स्वीकारो I


Exercise 1 ( Page No. : 49 )
Q:
A:

कबीरदास जी इस पक्ति के द्वारा यह कहना चाहते थे कि भगवान का स्मरण एकाग्रचित होकर करना था इस सखी के द्वारा कबीर केवल माला फेरकर ईश्वर की उपासना करने का ढोग बताते थे I


Exercise 1 ( Page No. : 49 )
Q:
A:

घास का अर्थ था पेरो में रहने वाली तुच्छ वस्तु I कबीर अपने दोहे में उस घास तक की निद्रा करने से मना करते थे जो हमारे पेरो के तले होती थी कबीर के दोहे में घास का विशेष अर्थ था यहा घास दबे कुचले व्यक्तियों की प्रतीक था कबीर के दोहे संदेश यही था कि व्यक्ति या प्राणी चाहे वह जितना भी छोटा हो उसे तुच्छ समझकर उसकी निद्रा नही करनी थी I


Exercise 1 ( Page No. : 49 )
Q:
A:

जग में बेरी कोड नही , जो मन सीतल होय I या आपा को डारि दे , दया करे सब कोय


Exercise 2 ( Page No. : 49 )
Q:
A:

‘’ या आपा को ........... आपा खोय I’’ इन दो पक्तियों में आपा को छोड़ देने की बात की गई थी यहाँ आपा अहंकार के अर्थ में प्रयुक्त हुआ था ‘आपा’ घमंड का अर्थ देता था I


Exercise 2 ( Page No. : 49 )
Q:
A:

आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में अंतर हो सकता था –
1. आपा और आत्मविश्वास – आपा का अर्थ था अहंकार जबकि आत्मविश्वास का अर्थ था अपने ऊपर विश्वास I
2. आपा और उत्साह – आपा का अर्थ था अहंकार जबकि उत्साह का अर्थ था किसी काम को करने का जोश था I

 


Exercise 2 ( Page No. : 49 )

Exercise 2 ( Page No. : 49 )
Q:
A:

कबीर के दोहों को साखी इसलिए कहा जाता था क्योकि इनमे श्रोता को गवाह बनाकर साक्षात् ज्ञान दिया गया था कबीर समाज में फेली कुरीतियों , जातीय भावनाओं, और ब्रह्य आंडबरो को इस ज्ञान द्वारा समाप्त करना चाहते है I