गुलमोहर एक फूलदार पेड़ था परंतु कविता में गुलमोहर स्वाभिमान के साकेतिक अर्थ प्रयुक्त हुआ था कवि हमें गुलमोहर के द्वारा घर और बाहर दोनों स्थानों पर स्वाभिमान से जीने की प्रदान करता था I
पहले शेर में चिराग शब्द का बहुवचन चिरागा का प्रयोग हुआ था इसका अर्थ था अत्यधिक सुख सुविधाओ से था दूसरी बार एकवचन के रूप में प्रयुक्त हुआ था जिसका अर्थ है सीमित सुख सुविधाओ का मिलना था दोनों को अपना ही महत्व था बहुवचन को दर्शाता था I
गजल के तीसरे शेर से कवि दुष्यत का इशारा समयनुसार अपने आप को ढाल लेने वालो से था कवि कहते थे कि ये ऐसे लोग थे जिनकी आवश्यकताए बड़ी सीमित थी और इसलिय ये अपना सफ़र आराम से काट लेते थे I
इन पक्तियों के जरिए शासक वर्ग पर व्यग किया जाता था शासक वर्ग की सत्ता होने के कारण वे किसी भी शायर की जुबान पर पाबदी अभिव्यक्ति पर पाबदी लगा देते थे शासक को अपनी सत्ता कायम रखने के लिए इस प्रकार की सावधानी रखना जरुरी भी होता था I