मिया नसीरूद्दीन का मसीह कहा था क्योकि वे साधारण नानबाई नहीं था वे खानदानी नानबाई था अन्य नानबाई रोटी केवल पकाते थे पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानते थे I
लेखिका मियाँ नसीरूदीन के पास पत्रकार की हेसियत से गई है वे उनकी नानबाई कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर उसे प्रकाशित करना था I
बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?
बादशाह के नाम का प्रसग आते ही नसीरुदीन की दिलचस्पी लेखिका की बातो में खत्म होने लगा क्योकि उन्हें किसी खास बादशाह का नाम मालूम नही है I
बादशाह के नाम का प्रसग आते ही मियाँ नसीरुदीन की दिलचस्पी लेखिका की बातो में खत्म होने लगे उसके बाद वे किसी को सुलगाने के लिए पुकारने लगे तभी लेखिका के पूछने पर उन्होंने बताया था वे उनके कारीगर थे I
मिया नसीरुदीन 70 वर्ष की आयु के थे मियाँ नसीरुदीन का शब्दचित्र लेखिका ने कुछ इस प्रकार खीचा था लेखिका ने जब दुकान के अन्दर झाका तो पाया मियाँ चारपाई पर बैठे बीडी का मज़ा लेते थे I
मियाँ नसीरुदीन की निम्नलिखित बाते हमें अच्छी लगी –
- उनका आत्मविश्वास से भरा व्य्कतिव I
- काम के प्रति रूचि एव लगाव I
- सटीक उत्तर देने की कला I
लेखिका ने तालीम शब्द का प्रयोग दो बार करता था क्रमश उनका अर्थ काम की टेर्निग और शिक्षा थी I
मियाँ नसीरुदीन तीसरी पीढ़ी के थे पहले उनका दादा साहिब है आला नानबाई मियाँ कल्लन दुसरे उनके वालिद मियाँ बरकतशाही नानबाई है वर्तमान समय में प्राय लोग अपने पारपरिक व्यवसाय को नहीं अपना थे है I
अख़बारनवीस पत्रकार को कहते थे अखबार की समाज को जाग्रत करने में अहम भूमिका थी अख़बार जनता को न्याय भी दिला सकते थे I