Complete NCERT Solutions Guide
Access step-by-step solutions for all NCERT textbook questions
==================>>>1==================>>>2==================>>>3==================>>>4
Welcome to the Chapter 8 - Barahmasa, Class 12 Hindi - Antra NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 8 - Barahmasa. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
Our solutions explain each answer in a simple and comprehensive way, making it easier for students to grasp key topics Barahmasa and excel in their exams. By going through these Barahmasa question answers, you can strengthen your foundation and improve your performance in Class 12 Hindi - Antra. Whether you’re revising or preparing for tests, this chapter-wise guide will serve as an invaluable resource.
अगहन मास में दिन छोटे हो जाते थे और राते बड़ी हो जाती थी नागमती के लिए यह परिवर्तन बहुत कष्टप्रद थे क्योकि दिन जेसे तेसे कट जाता था परन्तु रात नही कट पाती थी रात में उसे रह रहकर प्रिय की याद सताती थी वह घर में अकेली होती थी यह स्थिति ऐसे ही थी जेसे दीपक को बाती थी दीपक की बाती पूरी रात जलती रहती थी नागमती भी वेसे ही विरहाग्नि में जल रही थी उसके पति परदेश को गए थे I
नागमति का पति परदेश गया हुआ था पति की अनुपस्थिति उसे भयकर लगती थी वह पति के वियोग में जल रही थी एक स्थान पर पति के वियोग से उत्पन्न विरह को उसने बाज रूप में चित्रित किया था जिस तरह बाज अपने शिकार को नोच नोचकर का जाता था वेसे ही विरह रुपी बाज नागमती को जीवित नोच नोचकर खा रहा था उसे लगता था जेसे विरह रुपी बाज उसे अपना शिकार बनाने के नजर गडाए बेठा था I
माघ के महीने में ठंड अपने विकराल रूप में विधमान होती थी चारो और पाला अथार्त कोहरा छाने लगता था विरहिणी के लिए यह भी कम कष्टप्रद नही था इसमें विरह की पीड़ा मोंत के समान होती थी यदि पति की अनुपस्थिति इसी तरह रही थी माघ मास की ठंड उसे अपने साथ ही ले जाकर मानती थी I
फागुन मास के समय वृक्षों से पतिया तथा वनों से ढाखे गिरते थे विरहिणी के लिए यह माह बहुत ही दुःख देने वाला था चारो और गिरती पतिया उसे अपनी टूटती आशा के समान प्रतीत हो रही थी हर एक गिरता पता उसके मन में विधमान आशा को धूर्मिल कर रहा था कि उसके प्रियतम शीघ्र ही आते थे I
(क) दुखी नागमती भोरो तथा कोए से अपने प्रियतम के पास संदेशा ले जाने को कहती थी उसके अमुसार वे उसके विरह का हाल शीघ्र ही जाकर उसके प्रियतम को बता थे है प्रियतम के विरह में नागमती कितने गहन दुःख भोग रही थी इसका पता प्रियतम को अवश्य लगा था वह उन्हें सबोधित करते हुए कहते थे कि तुम दोनों वहा जाकर प्रियतम को अवश्य लगा था I
(ख) प्रस्तुत पक्तियो में नागमती अपने प्रियतम तुमसे अलग होने पर मेरी दशा बहुत ही खराब हो गई थी में तुम्हारे वियोग में इतना रोई थी कि मेरी आँखों से आँसू रूप में सारा रक्त बाहर निकल गया था इसी तरह तडपते हुए मेरा सारा माँस भी गल गया था और मेरी हड्डिया शख के जेसे श्रेव्त दिखाई दे रही थी I
(ग) प्रस्तुत पक्तियों में नागमती कहती थी कि है प्रियतम में तुम्हारे वियोग से सूखती जा रही थी मेरी स्थिति तिनके के समान हो गई थी में कमजोर हो गई थी में इतनी दुर्बल हो गई थी इसी प्रकार में कमजोर होने के कारण हिल जाता था इस पर भी यह विरहग्नि मुझे राख बनाने को व्यग था I
(घ) नागमती अपने मन के दुःख व्यक्त करते हुए कहती थे कि में स्वय के तन को विरहग्नि में जलाकर भस्म कर देना चाहती थी इसी तरह मेरा शरीर को उड़कर मेरे प्रियतम के रस्ते में बिखेर देती थी I
पहला पद – यह दुःख न जाने कतू जोबन जरम करे भसमतू I प्रस्तुत पद की भाषा अवधी शब्दों का इतना सटीक वर्णन किया था कि भाषा प्रवाहमी और गेयता के गुणों से भरी थी भाषा सरल और सहज था इसमें दुःख दगध तथा जोबर जर में अनुप्रास अलंकार थे वियोग से उत्पन्न विरह को बहुत मार्मिक रूप में वर्णन किया गया था I
दूसरा पद – बिरह बाढ़ी भा दारुन सीऊ कपि कपि मरो लेहि हरि जीऊ I प्रस्तुत पद की भाषा अवधी थी शब्दों का इतना सटीक वर्णन किया गया था कि बाशा प्रवाहमयी और गेयता के गुणों से भरी थी भाषा सरल और सहज थी बिरह बाढ़ी में अनुप्रास अलंकार था I
Join thousands of students who have improved their academic performance with our comprehensive study resources.