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Welcome to the Chapter 15 - Sanvadiya, Class 12 Hindi - Antra NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 15 - Sanvadiya. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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(क) दिए गए सवाद को जेसे थे वेसा ही बोलना पड़ता था I
(ख) सवाद के साथ भावो को भी वैसे का वैसा बताना पड़ता था I
(ग) सवाद को समय पर पहुचाना एक सवादिया की विशेषता होती थी I
(घ) उसे मार्ग का ज्ञान होना चाहिये था I गाँववालो के मन में अवधारणा थी कि सवादिया एक कामचोर निठल्ला तथा पेटू आदमी होता था जिसके पास कोई काम नही होता था वह सवादिया बन जाता था I
बड़ी हवेली से जब हरगोबिन को बुलावा आया था उसके मन में आशंका हुई थी कि अवश्य कोई गुप्त संदेश ले जाना था इस संदेश ले जाना था इस संदेश की खबर चाँद सूरज पदों तथा पक्षियों को भी नही लगनी थी I
बड़ी बहुरिया के लिए मायके ही वह स्थान रह गया है जहां वह आश्रय की उम्मीद पा सकती है अंत वह अपने घरवालो को अपनी दशा बताने के लिए यह सदेश भेजना चाहती है I
हरगोबिन ने जब बड़ी हवेली में कदम रखा था उसे बीते समय में हवेली के ठाट बाट की याद हो आई थी बड़े भेया के रहते थे इस हवेली की शान ही अलग है घर में नोकर नोकरानियो लोगो तथा मजदूरो की भीड़ हर समय रहेती है बड़ी बहुरिया मेहंदी लगे हाथों से ही नाइन परिवार कि जिम्मेदारी उठाया करता है I
सवाद कहते वक्त बड़ी बहुरिया का दुःख आँखों के जरिए बाहर आ गया था सवदिया के आगे उन्हें अपनी दशा व्यक्त करनी पड़ी है अभी तक उन्होंने अपनी दशा को सबसे छुपाया हुआ है लेकिन जब सवदिया उनकी दशा को जानता है I
गाडी पर सवार होकर उसे बड़ी बहुरिया का एक एक वचन काँटे के समान चुभ रहा है आज तक वह जितने भी सवाद लेकर गया है वे ऐसे नही है इसमें एक बेचारी बेटी अपनी माँ से सहायता के लिए पुकार रही है उसकी मार्मिक दशा का वर्णन उसके एक एक वचन होता है I
बड़ी बहुरिया उस गाँव की लक्ष्मी है अपने गाँव की लक्ष्मी की दशा दूसरे गाँव में जाकर सुनाना उसे अपमान लगा था उसे यह सोचकर बहुत शर्म आई थी उसके गाँव की लक्ष्मी इतने कष्ट झेल रहे थे और गाँव अब तक कुछ नही कर पाया था I
इसका अर्थ था कि सवदिया जिनका सवाद लेकर जाता था और जिसको सवाद देता था उस घर में बहुत आवभगत होती थी वह घरो में मजे से खाता था और यात्रा की थकान उतारने के लिए आराम से सोता था I
जलालगढ़ पहुचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने सकल्प लिया था वह अब निठल्ला नही बैठता बड़ी बहुरिया के लिए हर काम एक बेटे समान करता था अब वह माँ के समान उसकी देखभाल करता था उसे सारे कष्टो से दूर रखता था I
काबुली कायदा इसका अर्थ था कि काबुल से आए व्यक्ति के द्वारा बनाए गए नियम कानून हरगोबिन के गाँव में काबुल से आए व्यक्ति उधार क्प्दादेने आता है वह जब उधार कपड़ा देता है वह जब उधार कपड़ा देता था बड़ी विन्रमता से बात करता है लेकिन जब उधार वापिस माँगता था जुल्म की हद पार कर देता है I इसलिए यह कहावत बन कई काबुली – कायदा I रोम – रोम कलपने लगा – इसका अर्थ था कि किसी बात से परेशान होकर रोम – रोम दुःख से परेशान होने लगा था I अगहनी धान – अगहन मास में होने वाले धान को अगहनी धान कहा गया था यह दिसबर आस – पास का समय माना जाता था I
फिर उसकी बुलाहट क्यों हुई थी यह वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य था हरगोबिन को बड़ी हवेली से बुलावा आया है इस बुलावे पर वह हैरान है समय बदल गया है और अब सवदिया की आवश्यकता किसी को नही है I कहा गए वे दिन ? यह वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य था इसमें हरगोबिन बड़ी हवेली की दशा को देखता था और सोचता था एक ऐसा है जब बड़ी हवेली सच में अपने नाम के अनुरूप है बड़े भैया के समय में बड़ी हवेली की रोंनक देखने योग्य है और कितना कड़ा करू दिल ? यह वाक्य भी प्रश्न को दर्शाता था बड़ी बहुरिया अपनी दशा का यह प्रश्न कर बेठती थी खाने के लिए भोजन नही था और फिर भी यह आशा करना कि सब ठीक हो जाता है बड़ी बहुरिया जब परिस्थति से तंग आ जाता था I
(क) प्रस्तुत पक्ति में हरगोबिन बड़ी हवेली की तुलना उसके बीते समय से करता था जब इस हवेली के ठाट – बाट ही कुछ है एक समय है जब बड़ी हवेली का गाँव में दबदबा हुआ करता है उसकी पहचान है बड़ी भेया के मरने के बाद सब ठाट – बाट चला गया है I
(ख) प्रस्तुत पक्ति में हरगोबिन उस समय का वर्णन करता था जब हवेली की रानी बड़ी बहुरिया की साडी तक उनके तीन देवरों ने तीन टुकड़े करके बाट लिए है बड़ी बहुरिया के पहने हुए गहने तक नोचकर आपस में बाट लिए थे हरगोबिन ने उसकी तुलना द्रौपदी के चीरहरण लीला से की थी I
(ग) यह पक्ति बड़ी बहुरिया तब कहती थी जब वह अपनी माँ को हरगोबिन के माध्यम से अपनी व्यथा सुनाने के लिए भेजती थी वह अपनी माली से परेशान था घर में खाने के लिए कुछ नही था जो भी खाती थी उधार ही खाते थे I
(घ) यह पक्ति हरगोबिन अपने मन में सोचता था उसने बड़ी बहुरिया के वे दिन भी देखे है जब वह हाथो में मेहंदी लगाये हुए कई लोगो का घर चलाया करती है उस बड़ी बहुरिया के पति के मरते ही ऐसी गति हुई थी सब देखते रह गए थे देवरों ने सब हडप लिया था अब उस बड़ी बहुरिया की दशा बहुत ही खराब थी उनके दर्द भरे सवाद को सुनकर हरगोबिन कष्ट में है I
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