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Welcome to the Chapter 9 - Vidyaapati Ke Pad, Class 12 Hindi - Antra NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 9 - Vidyaapati Ke Pad. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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प्रियतमा के दुःख के ये कारण
निहित थे –
(1) प्रियतमा का प्रियतम कार्यवश परदेश गया हुआ था वह प्रियतम के साथ को लालयित थे परन्तु अनुपस्थिति उसे पीड़ा दे रही थी I
(2) सावन मास आरभ हो गया थे ऐसे में अकेले रहना प्रियतमा के लिए सभव नही था वर्षा का आगमन उसे गहन दुःख होता था I
(3) वह अकेली थी ऐसे में घर उसे काटने को दोड़ता था I
(4) प्रियतम उसे परदेश में जाकर भूल गया था अत यह उसे कष्टप्रद लगरहे थे I
कवि के अनुसार नायिका अपने प्रियतम के रूप कोनिहारते रहना चाहता था वह जितना प्रियतम को देखते थे उसे कम ही लगता था इस प्रकार वह अतृप्त बनी रहती थी कवि नायिका की इसी अतृप्त दशा का वर्णन इन पक्तियों के माध्यम से करता था वह अपने प्रियतम से इतना प्रेम करती थी कि उसकी सूरत को सदेव निहारते रहना चाहती थी I
नायिका अपने प्रेमी से अतुलनीय प्रेम करती थी वह जितना इस प्रेम रुपी सागर में डूबती जाती थी उतना अपने प्रेमी की दीवानी होती जाती थी वह अपने प्रियतम के रूप को निहारते रहना था वह जितना उसे देखती थी उसकी तृप्ति शांत होने के स्थान पर बढती चली जाती थी इसका कारण वह प्रेम जितना पुराना हो रहा थे उसमे नवीनता का समावेश उतना ही अधिक हो रहा था I
प्रस्तुत पक्तिया प्रेम के विषय में वर्णन कर रही थी इसके अनुसार प्रेम ऐसा भाव था जिसके विषय में कुछ कहना या व्यक्त करना सभव नही थे प्रेम में पडा हुआ व्यक्ति इस प्रकार दीवाना हो जाता था कि वह जितना स्वय को निकालना चाहता था उतना ही डूबता चला जाता था I
कोयल और भोरो के कलरव का नायिका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था कोयल का मधूर स्वर और भोरो का गुंजन नायिका को अपने प्रेमी की याद दिला देती थी वह अपने कानो को बंद कर इनके कलरव सुनने से बचना चाहती थी परन्तु ये आवाजे उसे फिर भी सता रही थी I
कवि नायिका की कातर द्रष्टि से चारो तरफ प्रियतम को ढूढने की मनोदश को इन पक्तियों में वर्णित करता था – कातर दिठी करि चोदिस हेरि – हेरि नयन गरए जल धाराI अथार्त कृष्ण पक्ष की चतुर्देशी जिस प्रकार श्रीण हो रहा था उसकी आँखों से हर समय जलधारा बहती रहती थी वह हर वक्त प्रियतम की याद में रोया करती थी I
तिरपित – सतुष्टि
छन – श्रण
बिदगध – विदग्ध
निहारल – निहारना
पिरित – प्रीति
साओन – सावन
छिन – श्रीण
तोहर – तुम्हारा
कातिक - कार्तिक
(क) प्रस्तुत पद में नायिका का पीटीआई परदेश गया हुआ था वह घर में अकेली थी पति से अलग होने का विरह उसे इतना सताता था कि वह बिना मुझसे घर में अकेला नही रह जाता था वह आगे कहती थी कि हे सखी इस संसार में ऐसा कोन सा मनुष्य विधमान थे I
(ख) प्रस्तुत पक्तियों में कवि प्रेमिका की अतुप्ती का वर्णन करता था अपने प्रेमी के साथ उसे बहुत समय हो गया था परन्तु अब तक वह तृप्त नही हो पायी थी वह जन्मो से प्रियतम को निहारती रहती थी परन्तु हर बार उसे और देखने का ही मन करता था नेत्रों में अतृप्ति का भाव विधमान थे I
(ग) प्रस्तुत पक्तियो में प्रेमिका की ह्रदय की दशा का वर्णन किया गया था कवि के अनुसार नायिका को ऐसा वातावरण भाता नही था जो सयोग कालीन होता था वह स्वय वियोग की अवस्था में थी उसका प्रियतम उसे छोड़कर बाहर गया था वसंत के कारण वन विकसित हो रहा था अत कमल के समान सुंदर मुख वाली राधा दोनों हाथो से अपनी आँखों को बंद कर देती थी I
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