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Welcome to the Chapter 12 - Premghan Ki Chhaya Smriti, Class 12 Hindi - Antra NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 12 - Premghan Ki Chhaya Smriti. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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उनके पिता फारसी भाषा के अच्छे विद्वान है I
- वे प्राचीन हिंदी भाषा के प्रशसक है I
- भारतेदु के नाटक उन्हें बहुत प्रिय है I
- वे फारसी भाषा में लिखी उक्तियो के साथ हिंदी भाषा में लिखी गई उक्तियो को मिलाने के शोकिन है I
एक बार लेखक पिता के कहने पर किसी की बारात में काशी चले गए है वहां घूमते हुए काशी के चोखभा स्थान पर पहुच गया था यही उनकी मुलाकात पंडित केदारनाथ जी पाठक से हुई थी वे भरतेन्दु के मित्र है लेखक स्वय भरतेन्दु के विषय में जानकार वह उनके घर को बड़ी चाह तथा कुतूहल से देख रहे है I
बचपन में लेखक के मन में भारतेदु जी के सबध में मधुर भावना व्याप्त है वह राजा हरिश्चंद तथा कवि हरिश्चंद में अंतर को समझ नही पाते है और दोनों को एक ही द्रष्टि से देखते है यदि कोई उनके सम्मुख हरिश्चंद का नाम लेता था I
लेखक के पिता की बदली मिर्जापुर के बाहर नगर में हुई है वहा रहते हुए उन्हें एक दिन ज्ञात हुआ था कि भारतेन्दु हरिश्चंद के सखा जिनका नाम उपाध्याय बदरीनारायण चोधरी थी जो प्रेमघन उपनाम से लिखते थे वे यहाँ रहते थे लेखक उन्हें मिलने को आतुर हो उठा और अपने मित्रो की मंडली के साथ योजना अनुसार एक डेढ़ मिल चलकर उनके घर के निचे खड़े हुए थे I
लेखक के पिता फारसी के ज्ञाता है तथा हिंदी प्रेमी भी है उनके घर में भारतेन्दु रचित हिंदी नाटको का वाचन हुआ करता है रामचरितमानस तथा रामचन्द्रिका का भी सुंदर वाचन होता है पिता द्वारा लेखक को बचपन से ही साहित्य से परिचय करवा दिया गया है भारतेन्दु लिखित नाटक लेखक को आकर्षित करते है अत इस आधार पर कहा जा सकता था कि पिताजी ने ही उनके अंदर हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम के बीज बोए है इस तरह हिंदी साहित्य की और झुकाव होना स्वाभाविक है I
निस्सदेह शब्द को लेखक ने इस प्रसग का जिक्र किया था जब लेखक का परिचय हिन्दी प्रेमी मंडली से हुआ था लिखने तथा बोलने के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग किया करते है बातचीत करते समय निस्सदेह शब्द का अधिक प्रयोग किया जाता है दूसरे लेखक के घर के आसपास ऐसे लोग अधिक रहा करते है I
(क) एक बार एक प्रसिद्ध कवि वामनाचार्यगिरि चोधरी साहब से मिलने आये थे वे मार्ग पर चलते हुए चोधरी साहब पर आधारित कविता का निर्माण कर रहे है कविता के आखिर अंक पर वह अटके हुए है I
(ख) ऐसे ही एक दिन चोधरी साहब बहुत से लोगो के साथ बैठे हुए है वहा से एक पडित जी गुजर रहे है सो वह भी इस मंडली में आ गए थे चोधरी साहब ने उनका हालचाल पूछा और क्या हाल था पंडित जी बोल पड़े कुछ नही आज मेरा एकादशी का वर्त था I
(ग) चोधरी साहब के पास एक दिन उनके मित्र मिलने के लिए पहुचे थे चोधरी साहब से वह अचानक प्रश्न पूछ बैठे थे साहब से अकसर घनचक्कर शब्द सुना करता था आपको मालूम था इसका क्या अर्थ था बीएस क्या है चोधरी साहब बोल पड़े थे इसमें कोन सी कठिन बात थी रात के समय एक कागज कलम ले लेते I
यह कथन चोधरी साहब के संदर्भ में कहा गया था वे उनकी मंडली में सबसे अधिक उम्र के है यही कारण भी है कि उन्हें मंडली में पुरानी वस्तु समझा जाता है चोधरी साहब स्नेही व्यक्ति है वे सबसे प्रेम से बाते किया करते है लोगो को उनके विषय में जानने का कुतूहल विधमान है I
1. हिंदी प्रेमी चोधरी साहब हिंदी कवि है वह प्रेमघन उपमान से लिखा करते है हिंदी से उनका प्रेम इन बातो से स्पष्ट हो जाता था I
2. रिसायती व्यक्ति चोधरी साहब एक रिसायत और तबीयतदारी व्यक्ति है उनके यहाँ हर उत्सव तथा अवसर में नाचरंग का आयोजन होता था यह उनकी रईसी का प्रतीक है I
3. आकर्षक व्यक्तित्व चोधरी साहब का व्यक्तिव बड़ा आकर्षक है लबा कद तथा कधे तक लटकते बाल उनकी पहचान है I
समयवयस्क हिंदी प्रेमियों की मंडली में ये लेखक मुख्य है काशी प्रसाद जायसवाल , भगवानदास हालना, पंडित बदरीनाथ गोड, पंडित उमाशकर दिवेदी इत्यादि थे I
हम दोनों को भिन्न भाषाए मानते थे मुगलों के आगमन के साथ भारत में उर्दू का भी आगमन हुआ था अग्रेजो के समय में आजादी पाने के लिए एक ऐसी भाषा के विकास की आवश्यकता हुई थी जो जन भाषा बन सकता था अत वह काल सक्रमण का काल है भरतेन्दु जी ने खड़ी बोली में लिखना आरभ कर दिया था उस समय सभी ने उर्दू के साथ साथ हिंदी का भी प्रयोग करा था I
(क) इस पुरातत्व की द्रष्टि में प्रेम और कुतूहल का एक अद्भुत मिश्रण रहता है प्रस्तुत कथन लेखक ने चोधरी जी के व्यक्तित्व को दर्शाने हेतु लिखे थे लेखक के अनुसार चोधरी जी उनकी मंडली में सबसे पुराने है I
(ख) उनकी हर एक अदा से रिसायत और तबीयतदारी टपकती है – प्रस्तुत कथन के अनुसार चोधरी साहब रईस परिवार से सबधित है उनके स्वभाव में रईसी रच बच गई है उनकी रईसी उनके हर हाव भाव से दिखाई देती है I
(ग) जो बाते उनके मुह से निकलती थी उनमे एक विलक्षण वक्रता रहती थी I – अथार्त चोधरी साहब कुछ भी बोलते है उसमे कुटिलता का समावेश विधमान रहता है वह सीधी बात बोलना नही जानते है I
पाठ की शेली बड़ी रोचक था कवि ने प्रयास किया था कि पुरानी बातो को उसके यथावथ रूप में प्रस्तुत किया जा सकता था उसने उस समय बोली जाने वाली स्थानीय बोली हिंदी तथा उर्दू भाषा का भी सुंदर प्रयोग किया था I
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