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Welcome to the Chapter 6 - Vasant Aaya, Class 12 Hindi - Antra NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 6 - Vasant Aaya. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
Our solutions explain each answer in a simple and comprehensive way, making it easier for students to grasp key topics Vasant Aaya and excel in their exams. By going through these Vasant Aaya question answers, you can strengthen your foundation and improve your performance in Class 12 Hindi - Antra. Whether you’re revising or preparing for tests, this chapter-wise guide will serve as an invaluable resource.
तोड़ो कविता में पत्थर और चटान बधनो तथा बाधाओ के प्रतीक थे बधन और बाधाऍ मनुष्य को आगे बढ़ने से रोकती थी इसलिए कवि मनुष्य को इनको हटाने के लिए प्रेरित करता था उसके अनुसार यदि इनसे पार पाना था तो इन्हें तोड़कर अपने रास्ते से हटाना पड़ता था I
कवि के अनुसार धरती और मन में बहुत प्रकार की समानताए विधमान थी –
- धरती के भीतर पत्थर और कठोरता का समावेश थी ऐसे ही मन में ऊबाउपन और खीझ विधमान थे I
- धरती के भीतर यदि पत्थर और चटान विधमान थे तो उसकी पैदावार शक्ति घट जाती थी I
- धरती में हल चलाकर उसके भीतर व्याप्त चटानो और पत्थरों को बाहर निकाला जाता था तथा उसे कृषि योग्य बनाया जाता था I
भाव यह था की मिटी का उपजाऊपन ही बीज का पोषण करता था और उसे फसल रूप में आकर देता था मिटी में यदि उपजाऊपन रस नही था वह बीज का पोषण नही कर पाती थी जब तक उसके अंदर खीझ विधमान रहती थी उसकी सर्जन शक्ति उससे प्रभावित होती थी I
ऐसा करने के पीछे कवि का विशेष उदेश्य था तोड़ो तोड़ो तोड़ो से कविता आरभ करके कवि मनुष्य को विध्न बाधाए खीझ इत्यादि को चकनाचूर करने के लिए प्रेरित करता था इस तरह मनुष्य सकट से बाहर आ जाता था और उसके मन की सोचने समझने की शक्ति का विकास होता था गोड़ो गोड़ो गोड़ो से वह मन को मजबूत बनाकर शक्ति को बढाने के लिए प्रेरित करता था जेसे धरती के अंदर व्याप्त चटान और पत्थरों को तोड़ने से उसका बजरपन समाप्त होता था I
कवि का निम्नलिखित पक्ति में झूठे बधनो से अभिप्राय था कि झूठे बधन मनुष्य को अपने मार्ग से विचलित करते थे उसकी शक्ति को जकड़ देते थे जेसे धरती में व्याप्त पत्थर तथा चटान उसे बंजर बना देते थे वैसे ही मन में व्याप्त झूठे बधन उसकी सर्जन शक्ति को विकसित नही होने देता था I धरती को जानने से अभिप्राय था कि धरती में इतनी शक्ति होती थी कि वह समस्त संसार का भरण पोषण कर सकता था परन्तु उसमे व्याप्त पत्थर और चटाने उसे बंजर बना देते थे I
आधे आधे गाने के माध्यम से कवि कहना चाहता था कि मनुष्य जब तक अपने मन में व्याप्त खीझ तथा ऊब को बाहर निकाल नही करता था तब तक उसका गान अधूरा ही रहता था मन जब उल्लास तथा आनद को महसूस करता था तभी वह पूरा गाना गा सकता था I
कवि फुटपाथ पर चलते हुए आये परिवर्तनों को देखता था तब उसे ज्ञात होता था कि वसंत आ गया था उसे चिड़िया के कूक पेड़ो से गिरे पीले पते तथा गुनगुनी ताज़ा हवा वसंत के आगमन की सूचना देते थे I
वसंत के आने से पहले वायु में अधिक ठडक विधमान होती थी इसमें मनुष्य सिहर उठता था परन्तु वसंत के आगमन के साथ यह हवा गुनगुनी हो जाती थी मानो कोई युवती गर्म पानी से स्नान करके आती थी I
वसंत पचमी के अमुक दिन कार्यालय में अवकाश होता था जो इस बात का प्रमाण था कि वसंत आ गया था कवि को वसंत पचमी के अवकाश का पता था तब चला जब उसने कैलेंडर में देखा तथा कार्यालय में अवकाश होता था I
प्रस्तुत पक्ति में कवि द्वारा व्यग्य किया जाता था उसके अनुसार सीमेट के बने जगलो में रहने वाले मनुष्य की प्रकति की सुन्दरता और उसमे होने वाले परिवर्तन के विषय में कोई जानकारी नही होती थी ऋतुओ में हो रहे परिवर्तन के विषय में कोई जान पाता था वह मात्र कविताओ के माध्यम से सभी ऋतुओ का सुंदर वर्णन किया था वसंत ऋतु रसिक तथा सभी प्रकार के कवियों की मनभावन ऋतु रहती थी I
प्रस्तुत पक्ति में कवि द्वारा व्यग्य किया जाता था उसके अनुसार सीमेट के बने जगलो में रहने वाले मनुष्य की प्रकति की सुन्दरता और उसमे होने वाले परिवर्तन के विषय में कोई जानकारी नही होती थी ऋतुओ में हो रहे परिवर्तन के विषय में कोई जान पाता था वह मात्र कविताओ के माध्यम से सभी ऋतुओ का सुंदर वर्णन किया था वसंत ऋतु रसिक तथा सभी प्रकार के कवियों की मनभावन ऋतु रहती थी I
प्रस्तुत पक्ति में कवि द्वारा व्यग्य किया जाता था उसके अनुसार सीमेट के बने जगलो में रहने वाले मनुष्य की प्रकति की सुन्दरता और उसमे होने वाले परिवर्तन के विषय में कोई जानकारी नही होती थी ऋतुओ में हो रहे परिवर्तन के विषय में कोई जान पाता था वह मात्र कविताओ के माध्यम से सभी ऋतुओ का सुंदर वर्णन किया था वसंत ऋतु रसिक तथा सभी प्रकार के कवियों की मनभावन ऋतु रहती थी I
प्रस्तुत पक्ति में कवि द्वारा व्यग्य किया जाता था उसके अनुसार सीमेट के बने जगलो में रहने वाले मनुष्य की प्रकति की सुन्दरता और उसमे होने वाले परिवर्तन के विषय में कोई जानकारी नही होती थी ऋतुओ में हो रहे परिवर्तन के विषय में कोई जान पाता था वह मात्र कविताओ के माध्यम से सभी ऋतुओ का सुंदर वर्णन किया था वसंत ऋतु रसिक तथा सभी प्रकार के कवियों की मनभावन ऋतु रहती थी I
आज के मनुष्य का संसार से सबध टूट गया था उसने प्रगति और विकास के नाम पर संसार को इतना नुक्सान पहुचाता था महानगरो में प्रकति के दर्शन ही नही होते थे चारो और इमारतो का साम्राज्य था ऋतुओ का सोदर्य तथा उसमें हो रहे बदलावों से मनुष्य परिचित ही नही था I
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