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Welcome to the Chapter 1 - Devsena Ka Geet, Class 12 Hindi - Antra NCERT Solutions page. Here, we provide detailed question answers for Chapter 1 - Devsena Ka Geet. The page is designed to help students gain a thorough understanding of the concepts related to natural resources, their classification, and sustainable development.
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ऊपर लिखित पक्ति में कवि ने देवसेना की वेदना का परिचय दिया था देवसेना स्कद गुप्ता से प्रेम करते थे जब देवसेना को इस बात का पता चलता था तो वह बहुत दुखी होती थी और वह कद गुप्त को छोड़ कर चला जाता था देवसेना कहती थी कि मैने प्रेम के भ्रम में अपने जीवन भर की अभिलाषा को रुपी भिक्षा को लुटा दिया था I
आशा में मनुष्य बावला हो जाता था और आशा से मनुष्य को शक्ति मिलती थी प्रेम में तो आशा बहुत ही बावली होती थी वह जिससे प्रेम करता था उसके प्रति हजारो सपने बुनता था कि उन्हें वास्तविकता का ज्ञान ही नही है I
दुर्बल पद बल में निहित व्यजना देवसेना के बल का ज्ञान कराती थी अथार्त देवसेना अपने ब की सीमा को बहुत अच्छी तरह से जानती थी उन्हें पता था वह बहुत कमज़ोर थी इसके बाद भी वह अपने भाग्य से लद रहा था I हारी होड़ पक्ति में निहित व्यजना देवसेना जानती थी की प्रेम में उन्हें हार ही प्राप्त होती थी I
(क) इस काव्यश की विशेषता था कि इसमें समर्थि बिब बिखरा पडा था देवसेना समर्थि में डूबी हुई थी उसे वे दिन स्मरण हो आते थे जब उसने प्रेम को पाने के लिए अथक प्रयास किया है परन्तु वह असफल होती थी अब उसे अचानक उसी प्रेमी को स्वर सुनाई पड़ रहा था यह उसे चोका देता था I
(ख) इस काव्याश की विशेषता था कि इसमें देवसेना की निराश से युक्त हतोत्साहित मनोस्थिति का पता चलता था I
समार्ट स्कद्गुप्त से राजकुमारी देवसेना प्रेम करती है उसने अपने प्रेम को पाने के लिए बहुत प्रयास किया था परन्तु उसे पाने में उसके सारे प्रयास असफल सिद्ध हुये थे यह उसके लिए घोर निराश का कारण है I
1. भारत पर सूर्य की किरण सबसे पहले पहुछती थी I
2. यहाँ पर किसी अपरिचित व्यक्ति को भी घर में प्रेमपूर्वक रखा जाता था I
3. यहाँ का सोदर्य अद्भुत और आदित्य था I
4. भारत की संस्कृति महान थी I
उड़ते खग में अप्रवासी लोगो को विशेष अर्थ व्यजित होता था कवि के अनुसार जिस देश में बाहर से पक्षी आकर आश्रय लेते थे वह हमारा देश भारत था बरसाती आँखों के बादल पक्ती से विशेष अर्थ यह व्यजित होता था कि भारतीय अनजान लोगो के दुःख में भी दुखी हो जाता था I
प्रस्तुत काव्याश में उषा का मानवीकरण कर उसे पानी भरने वाली स्त्री के रूप में चित्रित किया गया था इन पक्तियों में भोर का सोंदर्य सवर्त दिखाई देता था तारे ऊघने लगते थे भाव यह था कि चारो तरफ भोर हो चुका था और सूर्य की सुनहरी किरणे लोगो को उठा रही थी I
(1) उषा तथा तारे का मानवीकरण करने के कारण मानवीय अलकार था I
(2) काव्याश में गेयता का गुण विधमान था I
(3) जब जगकर में अनुप्रास अलकार था I
(4) हेम कुभ में रूपक अलकार था I
इसका तात्पर्य था कि भारत जेसे देश में अजनबी लोगो को भी आश्रय नही होता था कवि ने भारत की विशालता का वर्णन किया था यहाँ पर पक्षियों को ही आश्रय नही दिया जाता था I
प्रसाद जी के अनुसार भारत देश बहुत सुंदर और प्यारा था यहाँ का सोंदर्य अद्भुत था यहाँ सूर्यादय का द्रश्य बड़ा मनोहरी होता था सूर्य के प्रकाश में सरोवर में खिले कमल का सोंदर्य मन को हर लेता था मलय पर्वत की शीतल वायु का सहारा पाकर अपने छोटे पंखो से उड़ने वाले पक्षी आकाश में सुंदर इद्रधनुष का जादू उत्पन्न होता था I
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