भारतवर्ष की उन्नति कैसे हो सकती है? - Bhaaratavarsh Kee Unnati Kaise Ho Sakatee Hai? Question Answers: NCERT Class 11 Hindi - Antra

Exercise 1
Q:
A:

पाठ में भारतेदु जी ने कहा था कि भारतीय लोग बड़ा आलसी प्रवर्ती वाले हो गए थे हर भारतीय लोग बड़ा आलसी वाले हो गए है हर भारतीय को आलस्य ने अवशोषित कर लिया गया था यहीं कारण
था कि भरत के लोग परिक्षम करने से भागते थे जिसके कारण था कि भरत के लोग परिक्षम करने से भागते थे जिसके कारण देश में निरतर बेरोजगारी बढ़ रही थी I


Q:
A:

हर देश की अपनी राष्ट्रीय भाषा होती थी सभी आधिकारिक और अर्थ आधिकारिक कार्य एक ही भाषा में किए जाते थे यह शिक्षा का एक माध्यम भी था कोई भी देश अपनी राष्ट्रीय भाषा के माध्यम से विकास के पथ पर अग्रसर होता था दुनिया के सभी देशो के पास देश की भाषा के माध्यम से किए गए अपने स्वय के कई आविष्कार था इसलिए उन्नति का तात्पर्य भाषा के माध्यम से विकास से थी स्वतत्रता के समय हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करने के प्रयास का कड़ा विरोध किया गया है और यह तर्क दिया गया है I


Q:
A:

इस वाक्य को लिखकर लेखक ने एक ऐसे समाज की कल्पना की जहां रजा सर्तक होता था जहां राजा सर्तक होता था वहां के लोगो को जागरूख होना होता था उन्हें आलस्य नही होता था समाज को अपने और राज्य के विकास के लिए काम करना था I


Q:
A:

 लेखक का मानना था कि भारतीय आलस्य के कारण बेकार हो गए थे उनकी योग्यता आलस्य के कारण समाप्त हो गई थी उनमे अब नेतर्व के गुण नही था उन्हें किसी को ट्रेन के इंजन की तरह बनाना था होना था विभिन्न जातियाँ समुदायों आदि के लोग पूरे भारत में रहते थे उनके पास खुद चलने की श्रमता नही थी उन्हें सर्दियों से एक बाहरी व्यक्ति द्वारा घोषित किया गया था यह सही नही थे तो लेखक कहता था कि हमे इसका कारण खोजना था I


Q:
A:

(क) लेखक का कहना था कि आलस्य हमारा सबसे बड़ा दुश्मन था यही हमे निकम्मा बना दिया था इसलिए हमे इस आलस्य को छोड़ना होगा था और अपने समय का शी उपयोग करना था I

(ख) हमे अपने हितो और हितो का त्याग करना था लेखक के अनुसार हमे अपने देष जाति समाज आदि के लिए अपने हितो और हितो का त्याग करना था I

(ग) हमे शिक्षा के महत्व को समझना था हमे शिक्षा के महत्व को समझना था और इसे भारत में घर लाना था इस तरह शिक्षित भारत की प्रगति निश्चित था I


Q:
A:

लेखक जानता था कि भारतीय लोगो के पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण प्रचलित जाति और धार्मिक भेदभाव था इसी ने भारत की एकता तथा अखडता खंडित हो रही थी लोग धर्म तथा जाति के नाम पर दिलो में दूरियां बनाए हुए थे इसका फायदा दूसरे ले रहे थे अग्रेजी ने ही फूट डालो शासन करो की नीति से यहाँ पर राज़ किया था I


Q:
A:

लेखक कहता था कि भारत का पैसा आज हजार रूपों में होता था इग्लैंड , फरासीस , जर्मनी तथा अमेरिका में जा रहा था आज भी भारतीय विदेशी ब्रांड के कपड़े जूते घडिया इत्र इत्यादि पहनते थे और पैसे बाहर जाता था हम भी व्यापारिक लेन-देन के कारण विदेशी मुर्द्रा भारत लाते थे I



Q:
A:

(क) हमे आलसी नही होना चाहिए था हमे हमेशा कम करते रहना था इस तरह हम समय हम समय के मूल्य को पहचान पाते थे इसका सही इस्तेमाल करते थे I

(ख) हमे अपने देशो के विकास और प्रगति के लिए भी काम करना था इसी प्रकार यह सर्वविदित था कि जेसे जेसे हम विकास और प्रगति की और बढ़ते थे देश की प्रगति और विकास की प्रगति करता था हम देष के साथ जुड़े हुए थे इसलिए अगर हम तरक्की करते थे तो देश भी करता I

(ग) देश में शिक्षा का प्रसार करना आवश्यक था जहां शिक्षा थी वहां विकास का मार्ग खुलता था इसलिए यह सुनिशिचत करने के लिए कोई प्रयास नही किया था कि देश में कोई अनपढ़ लोग नही थे I

(घ) हमे जनसख्या पर नियत्रण करना था हमारे देष के साधन जनसख्या पर नियत्रण करना था हमारे देश के साधन जनसख्या के कारण समाप्त हो जाती थी और हमे अन्य देशो पर निर्भर होना पड़ता था इसलिए हमे जनसख्या को बढने से रोकना था I


Q:
A:

(क) भाषण सबोधन शेली पर आधारित होते थे यह शुरुआत से ही किया जाता था I

(ख) भाषण के समय ऐसे उदाहरण जनता के सामने रखे जाते थे जो उन्हें विषय से जोड़े रखते थे और मामले को प्रभावी बनाते थे I

(ग) दर्शको को किसी विषय से अवगत कराने का यह सबसे अच्छा तरीका था इसके दर्शको का विश्वास हासिल किया जाता था यह दर्शको के साथ सबध स्थापित करने का सबसे प्रभावी तरीका था I

(घ) ऐसे विषयों का उल्लेख करना आवश्यक था जो श्रोता के लिए ज्ञानवर्धक था भारततेदु जी का यह भाषण सर्वविदित था इसके माध्यम से उन्होंने बलिया के लोगो को जोड़ा था इसमें उन्होंने भारत के लोगो की कमियों के बारे में बताया ब्रिटिश शासन पर व्यग्य किया था और उनके काम की प्रशसा की है I