1. कूलन में केलिन में कछारन में कुंजन में क्यारिन कलिन कलिन किलकत में I
2. कहे पद्माकर परागहू में पोन हू मे पातन में पिकन, पलासन पगंत थी I
3. दवार में दिसान में दूनी में देस देसन में देखो दीप दीपन में दीपत दिगत में I
4. विथिन में ब्रज में नवेलिन में बेलिन में बनन में बागन में बगर्यो बसंत में I
1. बसंत ऋतु में न गर्मी होती थी न ठंडी होती थी और ना ही बारिश इस ऋतु में आसमान साफ़ रहता था I
2. बसंत ऋतु में विभिन्न प्रकार के फूल खिलते थे I
3. बसंत ऋतु में पीली सरसों के फूल खिल थे है बसंत ऋतु में आम के पेडो और अन्य सभी पेड़ो प्र नए पते आते थे कोयल की मधुर आवाज वातावरण को खुशनुमा बना देती थी I
कवि ने ओरे बार बार प्रयोग किया था जिससे पद का सोंदर्य बढ़ जाता था इसके प्रयोग से बसंत ऋतु का सोदर्य काफी प्रभावी रूप से प्रस्तुत करता था इस शब्द के प्रयोग से मनुष्य के मन में बसंत ऋतु को लेकर होने वाले परिवर्तन को प्रभावी तरीके से बताया जा सकता था I
में इस कथन से पूर्णतया सहमत था कि कवि ने पद्माकर काव्य में अलंकारो के उपयोग में सफलता हासिल कर ली थी कवि वाक्यों में अलंकारो के उपयोग में सफलता हासिल कर ली थी कवि वाक्यों में अलंकारो का ऐसा अनूठा गठजोड़ किया था
– जेसे – भीर भोर छलिया छबीले छेल और छवि छ्वे गए गोकुल के कुल के गली के गोप गाउन में ,I
पाद्माकर ने अपने पद में गोकुल में खेली जाने वाली होली का बहुत ही अद्भुत और अनूठा वर्णन किया था गोकुल के गाँव में होली का त्यौहार बड़े ही मनोहर ढंग से खेला जा रहा था सभी एक दूसरे को रंग लगा रहे थे गाँव के सभी लोगो में होली का उल्लास था एक गोपी श्री कृष्णके श्याम रंग में लिपटी हुई थी I
यह उत्तर आप अपने अध्यापक से सलाह करके दे I
padmaakar ne kis tarah bhaasha shilp se bhaav-saundary ko aur adhik badhaaya hai? sodaaharan likhie.
इस काव्य को पढने के बाद हमे इस बात का पूर्ण ज्ञान हो गया है कि पद्माकर ने सुव्यवस्थित और सरल भाषा का प्रयोग करके भाषा के प्रवाह बनाये रखा था उन्होंने एसी भाषा का प्रयोग किया था कि पाठक उन्हें आसानी से समझ सकता था I ओरे भांति कुंजन में गुजरत भीर भोरे
1. छलिया छबीले छेल और छबि छवे गए I
2. गोकुल के कुल के गली के गोप गाउन के छ ग तथा क अक्षरों के प्रभावी रचना से पक्तियों को प्रभावी बना दिया था कवि की रचना में चित्रत्मकता का समावेश सहज रूप से किया गया था I
1. यह प्रेम कि ऋतु था I
2. झूले – झूलने का यह सर्वोतम मोसम थी I
3. मोर की ध्वनि हिडोलो की छवि सी लगती थी I
4. इस ऋतु के प्रभाव से हमारा प्रिय हमे प्र से भी अधिक प्रिए लगाता था I 5. बगीचों में भवरो का स्वर फ़ैल गया था उनका गुंजार मल्हार राव की तरह प्रतीत होता था I
यह उत्तर अध्यापक से सलाह करके दे I