ज्योतिषा फुले हमेशा उन लोगो का विरोध करते है जो उच्चवर्गीय समाज का प्रतिनिधित्व करते है वे हमेशा ब्रहा समाज द्वारा फेलाए गए आड़बरो और रुढियो का विरोध करते है वे हमेशा सभी को समान अधिकार देने वाली बातो का समर्थन करते है यि उन्हें समाज सुधारको की सूची में रख दिया जाता था समाज की दशा बहुत पहले ही बदल जाती थी I
1. ज्योतिषा फुले के परिवार और समाज ने उनका बहिष्कार किया था I
2. वे जब भी बाहर निकलते है लोगो द्वारा उन्हें गालिया सुननी पडती है उन पर थूक और गोबर भी फेका जाता था I
3. उनके सामाजिक कार्यो को रोकने के लिए अनेक प्रकार के रोड़े अटकाए जाते है I
पक्ष – ज्योतिबा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार की यह कल्पना थी उनका मानना है कि यदि हर धर्म के लोग एक ही परिवार में मिलजुल कर रहते थे यह धरती स्वर्ग बन जाती थी यदि सब धर्म के लोग एक साथ प्रेमपूर्वक रहते थे I
विपक्ष - ज्योतिषा फुले द्वारा प्रतिपादित आदर्श परिवार मेरे विचारों से मेल नही खाता में कभी भी परिवार को धर्म के रूप में नही रखता था ज्योतिबा फुले द्वारा जिस आदर्श परिवार की कल्पना की गई थी वह पूरे संसार को एक छत के नीचे लाने के लिए करता था I
1. स्त्रियों को पुरुषो के समान जीने का अधिकार तथा स्वतंत्र रहने का अधिकार होना था I
2. स्त्रियों को पुरुषो के समान शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिलना था I
3. विवाह में बोले जाने वाले मत्रियो में ब्रहामणों का स्थान समाप्त हो जाना था था ऐसे वचन बुलवाने चाहिये था जिसमे दोनों अधिकार थे I
1. इसके पश्राचत उन्होंने कई सारी पुस्तके पढ़ी थी I
2. विधालय खोलने के कारण उन्हें उनके सास ससुर ने घर से निकल दिया था I
3. इसके बाद से उन्होंने शूद जाती के लोगो के लिए निडर होकर कार्य करना आरभ किया था I
4. ज्योतिषा फुले के साथ उन्होंने पहली कन्या विधालय की स्थापना की है I
1. घरेलू हिंसा को बंद करवा देता था I
2. घरेलू हिंसा का सबसे बड़ा कारण शराब एव नशीले पदार्थ होते थे इसका बहिष्कार अत्यंत आवश्यक था I
3. दहेज परता कई जगह अभी भी चल रही थी दहेज प्रथा पर रोक लगाना चाहते थे I
आज के समय में दाप्तय जीवन में छोटी छोटी बातो पर झगड़े और कलेश हो जाते थे इस कारण साथ चलना कठिन हो जाता था अहंकार की भावना रिश्तो के बीच दीवार बन जाती थी परंतु जब हम ज्योतिषा फुले और सावित्रीबाई फुले को देखते थे तो हमे उनसे प्रेरणा मिलती थी I
ज्योतिषा फुले ओर उनकी पत्नी ने उस समय हो रहे थे स्त्रियों के शोषण पर सवाल उठाया है वे लोग कहते थे कि समाज में स्त्रियों को उतना अधिकार मिलता था जितना पुरुषो को मिलता था I देखा जाए तो उनकी सोच बेटी बचाओ बेटी पढाओ की सोच अंतर था क्योकि आज की समाज म महिलाओं को भी उतना ही अधिकार प्रदान किया गया था जितना पुरुषो को मिला था I बेटी बचाओ बेटी पढाओ कार्यक्रम छोटी बच्चियों की भूर्ण हत्या और उनकी शिक्षा के सदर्भ में शुरू किया गया था इसलिए यह कहा जा सकता था कि दपति ने स्त्री के लिए जो कदम उठाया है उसका अलग चरण बेटी बचाओ बेटी पढाओ नही था I