लाला झाऊलाल को बेढ्गा लोटा बिलकुल पसंद नही है फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया था क्योकि वे अपनी पत्नी का अदब मानते है दूसरा वे पत्नी के तेज तरार स्वभाव से भी अवगत है
दो और दो जोड़कर जगह को समझना – अथार्त परिस्थति को भाप जाना लोटा गिरने पर गली में मचे शोर को सुनकर आँगन में एकत्र हो गई थी एक अग्रेज को भीगे हुए तथा पैर सहलाते हुए देखकर लाला समज गए थे कि माहोल गभीर था I
अग्रेज के सामने बिलवासिजी ने झाऊलाल को पहचानने से इनकार कर दिया था क्योकि अग्रेज का क्रोध शांत हो जाता और अग्रेज को जरा भी सदेह न हो कि वह लाला झाऊलाल का आदमी था I
बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबध अपने ही घर से अपनी पत्नी के संदूक से चोरी कर किया है I
अग्रेज को पुरानी ऐतिहासिक चीजे इकठा करने का शोक है ऐसा इसलिए कह सकते थे क्योकि दुकान से पुराणी पीतल की मुर्तिया खरीद रहे थे अग्रेज ने बिलवासी के कहने पर लोटा , अकबरी लोटा समझकर 500 रुपए में खरीदा था I
बिलवासी जी ने यह बात लाला झाऊलाल से कही क्योकि बिलवासी ने रुपयों का प्रबध अपने ही घर से अपनी पत्नी के संदूक से चोरी की है इस रहस्य को झाऊलाल के सामने खोलना नही चाहते है
झाऊलाल के लिए बिलवासी ने अपनी संदूक से पैसे क्गोरी किये है अब वे अपनी पत्नी के सोने की प्रतीक्षा में है ताकि वह चुप चाप संदूक में रख देते थे I
1. झाऊलाल की पत्नी को अपने पति झाऊलाल के वादे पर भरोसा नही है I
2. झाऊलाल कंजूस प्रवत्ति के थे I
3. उनकी पत्नी ने पहले भी कुछ माँगा था परन्तु उन्होंने हां करने के बाद भी लाकर नही दिया था I