कवि को ऐसा विश्वास इसलिए था क्योकि अभी उसके मन में नया जोश व उमंग था अभी उसे काफी नवीन कार्य करने थे वह युवा पीढ़ी को आलस्य की दशा से उबारना चाहते थे I
फूलो को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि उन्हें कलियों की जगह से निकालकर खिले फूल बनाना चाहता था कवि का मानना था कि उसके जीवन में वसंत आया हुआ था इसलिए वह कलियों को हाथो के वासंती स्पर्श से खिला दिया था I
कवि पुष्पों की तद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए उन पर अपना हाथ फेरकर उन्हें जगाना चाहता था वह उनको चुस्त प्राणवान , आभावान व पुष्पित करना चाहता था I
वसंत को ऋतुराज कहा जाता था क्योकि यह सभी ऋतुओ का राजा था इस ऋतु में प्रकति पूरे योवन होती थी इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती थी मोसम सुहावना हो जाता था इस समय पंचतत्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते थे पेड़ो से नए पत्ते आने लगते थे आम बोरो से लद जाते थे I
वसंत ऋतु में कई त्यौहार मनाये जाते थे – होली हमारा देश भारत विश्व का अकेला एव ऐसा अनूठा एव ऐसा अनूठा देश था जहां पूरे साल कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता था रंगों का त्यौहार होली हिदुओ का प्रसिद्ध त्योहार था जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता था यह त्योहार रंग एव उमंग का अनुपम त्योहार था जब वसंत अपने पूरे योवन पर होता था सर्दी को विदा देने और गीष्म का स्वागत करने के लिए इसे मनाया जाता था संस्कृत साहित्य में इस त्योहार को मदनोत्सव के नाम से पुकारा जाता था I