(1) शहर की और जाते हुए वल्ली ने बस की खिड़की से बाहर नहर उसके पार ताड़ के व्रक्ष घास के मैदान सुदूर पहाडियों और नीला आकाश दूसरी और रक गहरी खाई थी जिसके प्रे दूर
दूर तक फेले हुए हरे भरे खेत दूर तक हरियाली ही हरियाली गाय की एक बछिया अपनी दुम ऊपर उठाए सडक के बीचो बीच बस के ठीक सामने दोड़ रही थी I
(2) वल्ली ने जिस बछिया का कुछ देर पहले सडक पर कूदते हुए देखा था वह अब सडक पर मरी पड़ी थी वह किसी गाडी के निचे आ गई थी ओह कुछ श्रण पहले जो एक प्यारा सुंदर जीव था अब अचानक अपनी सुंदरता और सजीवता खो रहा था अब वह कितना डरावना लग रहा था फेली हुई टाँगे पथराई हुई आँखे खून से लथपथ अब खिड़की से बाहर झाककर और द्रश्य देखने की उसकी इच्छा नही रही थी I वह अपनी सीट पर जमी बैठी रही I
(3) इसके लिए उसे छोटी छोटी जो भी रेजगारी हाथ लगी इकट्ठी करनी पड़ी उसे अपनी कितनी ही इच्छाओ को दबाना पडा जेसे की वह गोलियाँ नही खरीदेगी खिलोने गुबारे कुछ भी नही लेगी कितना बड़ा सयम था यह और फिर विशेष रूप से उस दिन जब जेब में पैसे होते हुए भी गाँव के मेले में गोल गोल घूमने वाले झूले पर बैठने को उसका कितना जी चाह रहा था I
(1) अगर वल्ली की माँ जाग जाती और उसे घर पर न पाती तो वह बहुत ही परेशान हो जाती और उसे पूरे मोहल्ले में ढूढती घूमती I
(2) वल्ली अगर शहर देखने के लिए बस से उतर जाती तो नए शहर में खो जाती I